( ओ ) से शुरू वाले हिन्दी मुहावरे
‘ओ’ से शुरू होने वाले हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ, वाक्य में प्रयोग सहित इस लेख द्वारा उपलब्ध कराये गए है।
ओखली में सिर देना (अर्थ – जान-बूझकर परेशानी में फँसना, जानबूझकर अपने को जोखिम में डालना, जानबूझकर आपत्ति मूल्य लेना, इच्छापूर्वक किसी झंझट में पड़ना, कष्ट सहने पर उतारू होना)-
वाक्य प्रयोग – कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया।
ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना (अर्थ – चुनौती स्वीकार कर ली तो सामने आई कठिनाइयों से क्या डरना। कठिन काम हाथ में लिया, तो कठिनाइयों से क्या डरना।)-
वाक्य प्रयोग – रमेश ने छोटे भाई की शादी का पूरा बीड़ा अपने सर ले लिया पर बढ़ते खर्चों को देखकर परेशान हो रहा था तब उसकी पत्नी ने समझाया जब ओखली में सिर दिया तो मुसल से क्या डर।
ओर छोर न मिलना (अर्थ – रहस्य का पता न चलना, किसी जगह की अंत न दिखना)-
वाक्य प्रयोग – रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता।
ओस के मोती (अर्थ – क्षणभंगुर)-
ओठ चाटना (अर्थ – स्वाद की इच्छा रखना)-
ओठ मलना (अर्थ – दण्ड देना)-
ओठ चबाना (अर्थ – क्रोध प्रकट करना)-
ओठ सूखना (अर्थ – प्यास लगना)-
ओछे की प्रीति, बालू की भीति (अर्थ – बालू की दीवार की भाँति ओछे लोगों का प्रेम अस्थायी होता है)-
ओठ सूखना (अर्थ – प्यास लगना)-
ओस चाटे प्यास नहीं बुझती (अर्थ – नाम मात्र की चीज से काम नहीं चलता)-