एलर्जी के कारण और बचाव / Causes of allergies and protection

एलर्जी Allergy बहुत से लोगों को होती है। पहले इसे सिर्फ पश्चिमी देशों की बीमारी समझा जाता था। लेकिन वहाँ की लाइफ स्टाइल अपनाने की वहज से यहाँ भी एलर्जी की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है।

एलर्जी का असर किसी पर कम होता है तो किसी के लिए खतरनाक भी हो सकता है। कुछ लोगों को सुबह उठते ही नाक से पानी बहना शुरू हो जाता है , कुछ लोग कुत्ता या बिल्ली पास आते ही छींकना शुरू कर देते हैं। कुछ लोगों को खाने की चीज से स्किन पर रेशेज हो जाते हैं। यह एलर्जी के कारण हो सकता है। कभी कभी एलर्जी खतनाक स्तर तक हो सकती है जिसका तुरंत उपचार आवश्यक होता है।

आइये जानें एलर्जी क्या है , किसे और क्यों होती है और इससे कैसे बचें।

एलर्जी होने का कारण –

विशेषज्ञों के अनुसार एलर्जी की वजह हमारी खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली ( Immune System ) है, जिसका काम ऐसी बाहरी हानिकारक चीजों से शरीर को बचाने का होता है जो हमें बीमार बना सकती हैं।

लेकिन जब इम्यून सिस्टम उन चीजों पर भी प्रतिक्रिया करना शुरू कर देता है जो हानिकारक नहीं हैं , तो इसके लक्षण एलर्जी के रूप में दिखने लगते हैं। जैसे छींकें आना , त्वचा पर चकत्ते पड़ना या साँस लेने में तकलीफ होना आदि।एलर्जी के लक्षण कारण व बचाव

वो चीजें जिन्हें इम्यून सिस्टम हानिकारक समझने की भूल कर बैठता है एलर्जन Allergen कहलाते हैं। एलर्जन से बचने के लिए इम्यून सिस्टम एंटी बॉडी तैयार करता है। जिन्हे IgE (Immunoglobulin E ) कहा जाता है।

जब ये एंटी बॉडी मास्ट सेल्स ( Mast Cells ) के पास पहुँचते हैं तो मास्ट सेल्स हिस्टमिन तथा अन्य केमिकल का स्राव करने लगते हैं। इन केमिकल के कारण शरीर में कुछ परिवर्तन होने लगते हैं। जैसे रक्त शिराओं का चौड़ा होना, छींके आना या फेफड़े की नलियां सिकुड़ जाना। ये परिवर्तन ही ऐलर्जी के लक्षण के रूप में दिखाई पड़ते हैं।

मास्ट सेल्स की संख्या त्वचा , नाक , फेफड़े , गले , साइनस , कान , पेट के अन्दर की सतह पर अधिक होती है अतः इन्ही जगहों पर एलर्जी का असर अधिक होता है।

एलर्जेन क्या होते हैं – 

जिन चीजों से ऐलर्जी होती है वो एलर्जेन कहलाते हैं। एलर्जन कई प्रकार के हो सकते हैं। ज्यादातर ऐलर्जी होने का कारण अर्थात एलर्जेन ये चीजें होती हैं –

परागकण ( Pollan )

धूल मिट्टी ( dust )

खाने की कोई वस्तु ( food )

जानवरों से गिरने वाली मृत त्वचा ( Animal Dander)

फफूंदी ( Mold )

कोई दवा ( Medicine )

एक एलेर्जिस्ट या इम्यूनोलोजिस्ट एलर्जी का स्पेशलिस्ट डॉक्टर होता है जो आपकी स्थिति को अच्छी तरह समझ कर आपका उपचार कर सकता है। ( इसे पढ़ें : स्पेशलिस्ट डाक्टर कौनसे होते हैं किसे दिखाएँ )

एलर्जी कब ज्यादा होती है

वातावरण में परागकण ( Pollens ) बसंत ऋतू यानि मार्च अप्रैल महीने में अत्यधिक होते हैं। ये परागकण अत्यधिक बारीक़ होते हैं अतः दिखाई नहीं देते।  ये पेड़ , पौधे , घास या अवांछित खरपतवार के हो सकते हैं। जिन लोगों को परागकण से ऐलर्जी हो तो इस समय ध्यान रखना चाहिए। परागकण मीलों तक हवा में उड़ कर चले जाते हैं। यानि सिर्फ आपके पड़ोस में पेड़ या घास फूस ही इनका कारण नहीं हैं।

पशुओं की मृत त्वचा Animal Dander से एलर्जी वाले लोगों को पशु के पास रहने से एलर्जी ज्यादा हो सकती है।  यह मृत त्वचा पशु के बालों में बहुत होती है। पशु की लार में भी वो तत्व होते हैं जो मृत त्वचा में होते हैं। पशु खुद को चाटते हैं जिससे उनके बालों से ऐलर्जी और ज्यादा बढ़ सकती है।

फफूंद Mold से ऐलर्जी वाले लोगों को पतझड़ के मौसन में , घर के वाल पेपर से या नमी वाली जगह जैसे बेसमेंट या रसोई घर अथवा घर में कही पानी लीक होता है ऐसी जगह ऐलर्जी अधिक हो सकती है। फफूंद Mold अँधेरी नम जगह पर अधिक होती है।

किसी विशेष खाने पीने की वस्तु या दवा के उपयोग करने से ऐलर्जी होती है तो उसके उपयोग से परेशानी होती है। जैसे किसी को गेहूं से एलर्जी होने लगती है , किसी को मेवों ड्राई Dry fruits से या मूंगफली से इनके अलावा अंडा , दूध , बादाम , अखरोट , काजू , सोयाबीन , तिल से भी ऐलर्जी हो सकती है।

घर में पाए जाने वाले सूक्ष्म डस्ट माईट Dust Mite से एलर्जी हो तो हमेशा दिक्कत होती रहती है। घर के पर्दे , सोफ़ा कवर , कारपेट , बिस्तर , तकिया , खिलोने आदि में डस्ट माईट हो सकते हैं।  ऐसे में घर से बाहर निकलने पर एलर्जी में आराम मिलता है।

लेटेक्स से ऐलर्जी हो तो रबर से बने सामान के उपयोग से ऐलर्जी अधिक होती है। गुब्बारे , पुरुष या महिला कंडोम, रबर बैंड , लेटेक्स ग्लव्स , खिलोने , पेंट , दूध की बोतल की निपल, रेन कोट , अंडरवीयर की इलास्टिक , सेनिटरी नैपकिन , डाइपर आदि के उपयोग से ऐलर्जी हो सकती है।

एलर्जी के लक्षण –

एलर्जी का असर शरीर में कुछ विशेष स्थान पर अधिक नजर आता है। जो इस प्रकार हैं –

त्वचा : खुजली , पित्ती , चुभन , उभार , लाल होना , फ्लेक बनते महसूस होना, होंठ सूजना।

आँखें : आँख लाल होना , पानी आना , चुभन होना , सूजन , आँख के आस पास दर्द।

जुकाम : छींक , आँख में पानी , नाक में पानी , नाक बंद या ठसना, सिर दर्द , गले में दर्द या चुभन।

अस्थमा : कफ , साँस लेने में परेशानी , घुटन , छाती में दबाव सा महसूस होना।

पाचन : उल्टी होना , जी घबराना , दस्त लगना आदि।

एलर्जी से कैसे बचें –

एलर्जी की परेशानी है तो यह पता होना जरुरी है की किस चीज से एलर्जी होती है।  उस चीज से बचना बहुत जरुरी होता है। कुछ लोगों को पता होता है की किस चीज से ऐलर्जी है पर बहुत से लोगों को अंदाजा नहीं लग पाता कि उन्हें कौनसी वस्तु से ऐलर्जी है। इसके लिए रक्त की जाँच करवाकर पता किया जा सकता है।

कुछ उपाय अपनाकर एलर्जेन से बचने के उपाय अवश्य करने चाहिए जो इस प्रकार हैं –

—  यदि परागकण से एलर्जी Pollen allergy है तो जब पराग कण अधिक हों तब बाहर कम निकलें। अधिकतर मार्च अप्रैल के महीने में हवा में परागकण अत्यधिक मात्रा में होते हैं। अतः इस समय विशेष सावधानी बरतें। मास्क और चश्मे का उपयोग करें। सोने से पहले स्नान कर लें।

—  डस्ट माईट से एलर्जी हो तो उन्हें मिटाने का प्रयास करें। कारपेट आदि कम रखें खासकर बेडरूम में। पर्दे , सोफ़ा कवर धो कर साफ करते रहें। गर्म और नमी युक्त वातावरण में डस्ट माईट अधिक पनपते हैं।

—  पशु की झडन Animal dander से एलर्जी हो तो पालतू जानवर घर में ना रखें।

—  घर में नमी के कारण फफूंद Mold के कारण एलर्जी हो तो नमी दूर करें या नमी वाली जगह से दूर रहें। बेसमेंट जैसी जगह में इसका असर अधिक हो सकता है वहां कम ही जाएँ। पुराने कपड़े , गत्ते या अख़बार आदि नियमित रूप से घर से हटाते रहें।

—  जिस खाने की वस्तु या दवा से एलर्जी होती है उसका ध्यान रखें और उसका उपयोग ना करें।

—  लेटेक्स से एलर्जी हो तो रबर वाले सामान से दूर रहें उनका उपयोग न करें।

—  हेपा HEPA फ़िल्टर का उपयोग करें। यह फ़िल्टर हवा में मौजूद परागकण , डस्ट माईट का मल , फफूंद , बीजाणु , जानवरों की मृत त्वचा , तथा अन्य कई तकलीफदेह कणों को कम कर देता है।

एलर्जी का उपचार –

एलोपथी में इसके लिए एंटी हिस्टामिन दवाएँ दी जाती हैं। इनसे कुछ समय के लिए लाभ होता है लेकिन समस्या बनी रहती है। जब भी एलर्जी हो दवा लेनी पड़ती है।

आयुर्वेद के अनुसार एलर्जी पाचन तथा प्रतिरोधक क्षमता से सम्बंधित समस्या है। अतः सुपाच्य भोजन , अनुशासित दिनचर्या , चिंता क्रोध और तनाव से मुक्ति तथा नियमित प्राणायाम आदि से शरीर के सभी प्रकार के दोष मिटते हैं , प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है और एलर्जी में आराम आता है।

विशेष रूप से जल नेति तथा सूत्र नेति , सूर्य नमस्कार आसन , त्रिकोणासन , अनुलोम विलोम तथा कपाल भाती प्राणायाम के अभ्यास से एलर्जी ठीक होने लगती है।

होमियोपैथी का उपचार नियमित लम्बे समय तक लेने से भी एलर्जी में आराम मिल सकता है।

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