बागवानी खेती / Gardening cultivation

देश में कई ऐसे संस्थान हैं जो कृषि विकास के लिए प्रयत्मनशील हैं। ऐसे में एक नजर बागवानी समिति की ओर जानी चाहिए जो निरंतर कृषि से आय दो गुनी करने के लिए प्रयासरत है। राष्ट्रीय बागवानी समिति के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित आईएआरआई में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान कृषि एवं किसान मंत्रालय सचिव एस.के पटनायक,नीति आयोग सदस्य रमेश चंद मौजूद रहे। बागवानी खेती की दिशा में विभिन्न अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। बागवानी समिति के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.एल चढ्ढा ने समिति द्वारा बागवानी खेती विकास के लिए किए गए कार्यों पर चर्चा की। तो वहीं कृषि सचिव एस.के पट्टनायक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के विकास के लिए बागवानी खेती को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने बागवानी खेती को कृषि के छोटे भाई की संज्ञा दी। कृषि से अधिक आमदनी बागवानी खेती के बिना संभव नहीं है। इसके अन्तर्गत किसानों को अधिक आमदनी देने वाली फसलों का चुनाव कर खेती करनी चाहिए। इस बीच बागवानी खेती का सकल उत्पादन पहले का अपेक्षा काफी बढ़कर 300 मिलियन टन हो गया है। साथ ही पटनायक ने फलों की खेती करने का सुझाव दिया। टिश्यूकल्चर पद्धति के अन्तर्गत खेती करने के साथ-साथ किसानों को औषधीय गुणों से युक्त पौधों को उगाने के लिए प्रेरित किया। वैज्ञानिकों को उच्च अनुसंधान की गई किस्मों को किसानों के बीच अधिकता में पहुंचाने की दिशा में कार्य करने के लिये कहा।

 

तो वहीं नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली विभिन्न फसलों को उगाने को कहा। किसानों को उत्पाद को बिक्री के लिए बाजार तक आसानी से पहुंच पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में सिंचाई वाले जल की अधिक उपलब्धता है वहां भी बागवानी खेती का अधिक प्रचलन होना चाहिए।

 

इस बीच देश में सब्जी उत्पादन की दिशा में सराहनीय कार्य करने के लिए डॉ. प्रीतम कालिया को लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार दिया गया। आप को बता दें कि प्रीतम कालिया हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्दालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की तत्पश्चात प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए। जिसके बाद 2002 में आईएआरआई-न

ई दिल्ली में सब्जी उत्पादन विभाग में प्रधान वैज्ञानिक पद पर नियुक्त हुए। यहीं 2010 में वह विभागाध्यक्ष बनाए गए। इस बीच उन्होंने 34 साल के सेवाकाल में सब्जी की विभिन्न 28 किस्मों का अनुसंधान किया। डॉ. कालिया को आईसीआरए- रफी अहमद किदवई,डॉ. कीर्ति सिंह पुरस्कार व हिमाचल गौरव पुरस्कार से नवाजा गया है। इसी कड़ी में डॉ. आर.के पाठक को भी लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया।

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