( अ ) से शुरू वाले हिन्दी मुहावरे
‘अ’ से शुरू होने वाले हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ, वाक्य में प्रयोग सहित इस लेख द्वारा उपलब्ध कराये गए है।
अक्ल पर पत्थर पड़ना – (अर्थ – बुद्धि भ्रष्ट होना)-
वाक्य प्रयोग – विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।
अंक भरना – (अर्थ – स्नेह से लिपटा लेना)-
वाक्य प्रयोग – माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।
अंग टूटना – (अर्थ – थकान का दर्द)-
वाक्य प्रयोग – इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – (अर्थ – स्वयं अपनी प्रशंसा करना)-
वाक्य प्रयोग – अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
अक्ल का चरने जाना – (अर्थ – समझ का अभाव होना)-
वाक्य प्रयोग – इतना भी समझ नहीं सके, क्या अक्ल चरने गए है ?
अपने पैरों पर खड़ा होना – (अर्थ – स्वालंबी होना)-
वाक्य प्रयोग – युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
अक्ल का दुश्मन – (अर्थ – मूर्ख)-
वाक्य प्रयोग – राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
अपना उल्लू सीधा करना – (अर्थ – मतलब निकालना)-
वाक्य प्रयोग – आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
अंगारों पर लेटना – (अर्थ – डाह होना, दुःख सहना)-
वाक्य प्रयोग – वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।
अँगूठा दिखाना – (अर्थ – समय पर धोखा देना)-
वाक्य प्रयोग – अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।
अँगूठा छाप – (अर्थ – अनपढ़)-
वाक्य प्रयोग – रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।
अँगूठा चूमना – (अर्थ – खुशामद करना)-
वाक्य प्रयोग – साहित्यिक भी जब शासकों का अँगूठा चूमते हैं, तो बड़ा दुःख होता है।
अँगूठे पर मारना – (अर्थ – परवाह न करना)-
वाक्य प्रयोग – तुम्हारे जैसे कितनों को मैं अँगूठे पर मारता हूँ।
अँगूठा नचाना– (अर्थ – चिढाना)-
वाक्य प्रयोग – सच्चे दोस्त का अपने दोस्त को अँगूठा नचाना सही नहीं है।
अँचरा पसारना – (अर्थ – माँगना, याचना करना)-
वाक्य प्रयोग – हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।
अण्टी मारना – (अर्थ – चाल चलना)-
वाक्य प्रयोग – ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।
अण्ड-बण्ड कहना – (अर्थ – भला-बुरा या अण्ट- सण्ट कहना)-
वाक्य प्रयोग – क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।
अन्धाधुन्ध लुटाना – (अर्थ – बिना विचारे व्यय)-
वाक्य प्रयोग – अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?
अन्धा बनना – (अर्थ – आगे-पीछे कुछ न देखना)-
वाक्य प्रयोग – धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।
अन्धा बनाना – (अर्थ – धोखा देना)-
वाक्य प्रयोग – मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।
अन्धा होना – (अर्थ – विवेकभ्रष्ट होना)-
वाक्य प्रयोग – अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो ?
अन्धे की लकड़ी – (अर्थ – एक ही सहारा)-
वाक्य प्रयोग – भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा।
अन्धेरखाता – (अर्थ – अन्याय)-
वाक्य प्रयोग – मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।
अन्धेर नगरी – (अर्थ – जहाँ धांधली का बोलबाला हो, कोई नियम कानून न होना, मनमानी)-
वाक्य प्रयोग – ग़रीब रेल में बिना टिकेट पकड़ा जाए तो जेल और बड़े बड़े सेठ टैक्स चोरी करें तो बस वॉर्निंग या कुछ पेनाल्टी, भयानक अंधेर नगरी है हमारा देश भी।
अंधेर नगरी चौपट राजा – (अर्थ – जहाँ राजा या मालिक मूर्ख होता है वहाँ अन्याय तो होगा ही)-
वाक्य प्रयोग – महेश ने अपनी कंपनी मे ऐसा मैनेजर रखा जिसे कुछ नही आता इसी कारण से महेश की कंपनी डूब गई सच कहा है अंधेरी नगरी चौपट राजा ।
अकेला दम – (अर्थ – अकेला)-
वाक्य प्रयोग – यह कार्य अकेला दम से ही हो जायेगा।
अक्ल की दुम – (अर्थ – अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला)-
वाक्य प्रयोग – दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।
अगले जमाने का आदमी – (अर्थ – सीधा-सादा, ईमानदार)-
वाक्य प्रयोग – आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।
अढाई दिन की हुकूमत – (अर्थ – कुछ दिनों की शानोशौकत)-
वाक्य प्रयोग – जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।
अत्र-जल उठना – (अर्थ – रहने का संयोग न होना, मरना)-
वाक्य प्रयोग – मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।
अत्र-जल करना – (अर्थ – जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)-
वाक्य प्रयोग – भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।
अत्र लगना – (अर्थ – स्वस्थ रहना)-
वाक्य प्रयोग – उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।
अपना किया पाना – (अर्थ – कर्म का फल भोगना)-
वाक्य प्रयोग – बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
अपना-सा मुँह लेकर रह जाना – (अर्थ – शर्मिन्दा होना)-
वाक्य प्रयोग – आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना – (अर्थ – स्वार्थी होना, अलग रहना)-
वाक्य प्रयोग – यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना – (अर्थ – संकट मोल लेना)-
वाक्य प्रयोग – उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।
अब-तब करना – (अर्थ – बहाना करना)-
वाक्य प्रयोग – कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।
अब-तब होना – (अर्थ – परेशान करना या मरने के करीब होना)-
वाक्य प्रयोग – दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।
अंग-अंग ढीला होना – (अर्थ – अत्यधिक थक जाना)-
वाक्य प्रयोग – विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।
अंगारे उगलना (अर्थ – कठोर और कड़वी बातें कहना)-
वाक्य प्रयोग – मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।
अंगारों पर लोटना – (अर्थ – ईर्ष्या से व्याकुल होना)-
वाक्य प्रयोग – मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।
अँगुली उठाना – (अर्थ – किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना)-
वाक्य प्रयोग – मित्र! हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।
अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना – (अर्थ – थोड़ा पाकर अधिक पाने की कोशिश करना)-
वाक्य प्रयोग – जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो, जाओ यहाँ से।
अंगूर खट्टे होना – (अर्थ – कोई वस्तु न मिलने पर उससे विरक्त होना)-
वाक्य प्रयोग – जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं।
अंजर-पंजर ढीला होना – (अर्थ – शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना)-
वाक्य प्रयोग – दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीला हो गया।
अंडे सेना – (अर्थ – घर से बाहर न निकलना; घर में ही बैठे रहना)-
वाक्य प्रयोग – रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे सेने से काम नहीं चलेगा।
अंतड़ियों के बल खोलना (अर्थ – बहुत दिनों के बाद भरपेट भोजन करना)-
वाक्य प्रयोग – आज पंडित जी का न्योता हैं, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे।
अंतड़ियों में बल पड़ना – (अर्थ – पेट में दर्द होना)-
वाक्य प्रयोग – दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए।
अंतिम घड़ी आना – (अर्थ – मौत निकट आना)-
वाक्य प्रयोग – शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।
अंधा बनना – (अर्थ – ध्यान न देना)-
वाक्य प्रयोग – अरे मित्र! तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते हैं कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए।
अंधे के हाथ बटेर लगना (अर्थ – अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना)-
वाक्य प्रयोग – रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।
अंधे को दो आँखें मिलना – (अर्थ – मनोरथ सिद्ध होना)-
वाक्य प्रयोग – एम.ए., बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई।
अंधेर मचना – (अर्थ – अत्याचार करना)-
वाक्य प्रयोग – औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था।
अक्ल का अंधा – (अर्थ – मूर्ख व्यक्ति)-
वाक्य प्रयोग – वह अक्ल का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते हैं।
अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना – (अर्थ – हर वक्त मूर्खता का काम करना)-
वाक्य प्रयोग – रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।
अक्ल घास चरने जाना – (अर्थ – वक्त पर बुद्धि का काम न करना)-
वाक्य प्रयोग – अरे मित्र! लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हैं तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी।
अक्ल ठिकाने लगना – (अर्थ – गलती समझ में आना)-
वाक्य प्रयोग – जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे, उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।
अगर-मगर करना – (अर्थ – तर्क करना या टालमटोल करना)-
वाक्य प्रयोग – ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से; हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए।
अपना रास्ता नापना – (अर्थ – चले जाना)-
वाक्य प्रयोग – मैंने रामू को उसकी कृपा का धन्यवाद देकर अपना रास्ता नापा।
अपना सिक्का जमाना – (अर्थ – अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना)-
वाक्य प्रयोग – रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया हैं।
अपना सिर ओखली में देना – (अर्थ – जान-बूझकर संकट मोल लेना)-
वाक्य प्रयोग – खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया हैं।
अपनी खाल में मस्त रहना – (अर्थ – अपने आप में संतुष्ट रहना)-
वाक्य प्रयोग – वह तो अपनी खाल में मस्त रहता हैं, उसे किसी से कोई मतलब नहीं हैं।
अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना (अर्थ – सबसे अलग रहना)-
वाक्य प्रयोग – मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।
अंगारों पर पैर रखना – (अर्थ – अपने को खतरे में डालना, इतराना)-
वाक्य प्रयोग – भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।
अक्ल का अजीर्ण होना – (अर्थ – आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)-
वाक्य प्रयोग – सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।
अक्ल दंग होना – (अर्थ – चकित होना)-
वाक्य प्रयोग – मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।
अक्ल का पुतला – (अर्थ – बहुत बुद्धिमान)-
वाक्य प्रयोग – विदुर जी अक्ल का पुतला थे।
अन्त पाना – (अर्थ – भेद पाना)-
वाक्य प्रयोग – उसका अन्त पाना कठिन है।
अन्तर के पट खोलना – (अर्थ – विवेक से काम लेना)-
वाक्य प्रयोग – हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।
अक्ल के घोड़े दौड़ाना – (अर्थ – कल्पनाएँ करना)-
वाक्य प्रयोग – वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।
अपने दिनों को रोना – (अर्थ – अपनी स्वयं की दुर्दशा पर शोक प्रकट करना)-
वाक्य प्रयोग – वह तो हर वक्त अपने ही दिनों को रोता रहता हैं, इसलिए कोई उससे बात नहीं करता।
अलाउद्दीन का चिराग – (अर्थ – आश्चर्यजनक या अद्भुत वस्तु)-
वाक्य प्रयोग – रामू कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो।
अल्लाह को प्यारा होना – (अर्थ – मर जाना)-
वाक्य प्रयोग – मुल्लाजी कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारे हो गए।
अपनी डफली आप बजाना – (अर्थ – अपने मन की करना)-
वाक्य प्रयोग – राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।
अंग-अंग ढीला होना (अर्थ – थक जाना)-
वाक्य प्रयोग – ऑफिस में इतना अधिक काम है कि शाम तक अंग-अंग ढीला हो जाता है।
अंग-अंग मुसकाना (अर्थ – अति प्रसन्न होना)-
वाक्य प्रयोग – विवाह की बात पक्की होने की खबर को सुनते ही करीना का अंग-अंग मुसकाने लगा।
अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना – (अर्थ – हर समय मूर्खतापूर्ण कार्य करना)-
वाक्य प्रयोग – जो आदमी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है उसे मैं इतनी बड़ी जिम्मेदरी कैसे सौंप सकता हूँ?
अगर मगर करना – (अर्थ – टालमटोल करना)-
वाक्य प्रयोग – मेरे एक दोस्त ने मुझसे वायदा किया था कि जब भी कोई जरूरत हो वह मेरी मदद करेगा। आज जब मैंने मदद माँगी तो अगर-मगर करने लगा।
अगवा करना – (अर्थ – अपहरण करना)-
वाक्य प्रयोग – मुरली बाबू के बेटे को डाकुओं ने अगवा कर लिया है और अब पाँच लाख की फिरौती माँग रहे हैं।
अति करना – (अर्थ – मर्यादा का उल्लंघन करना)-
वाक्य प्रयोग – भाई, आपने भी अति कर दी है, हमेशा अपने बच्चों को डाँटते ही रहते हो। कभी तो प्यार से बात किया करो।
अपना-अपना राग अलापना – (अर्थ – किसी की न सुनना)-
वाक्य प्रयोग – सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए।
अपनी राम कहानी सुनाना – (अर्थ – अपना हाल बताना)-
वाक्य प्रयोग – यहाँ के अधिकारियों ने तो अपने कानों में तेल डाल रखा है। किसी की सुनना ही नहीं चाहते।
अरमान निकालना – (अर्थ – इच्छा पूरी करना)-
वाक्य प्रयोग – हो गई न तुम्हारे मन की। निकाल लो मन के सारे अरमान।
अन्धों में काना राजा – (अर्थ – अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)-
वाक्य प्रयोग – मोहन अन्धों में काना राजा है।
अंकुश देना – (अर्थ – दबाव डालना)-
वाक्य प्रयोग – तुम्हारा इतना अंकुश देना मोहन के लिए उचित नहीं है, इससे वह और निराश होगा।
अंग में अंग चुराना – (अर्थ – शरमाना)-
वाक्य प्रयोग – देवी सीता की स्वयम्बर होने की बात से वह अंग में अंग चुराने लगी।
अंग-अंग फूले न समाना – (अर्थ – आनंदविभोर होना)-
वाक्य प्रयोग – आज के इस आनंद विभोर वातावरण में मेरा तो अंग-अंग फूले न समाना ही था।
अंगार बनना – (अर्थ – लाल होना, क्रोध करना)-
वाक्य प्रयोग – अत्यधिक अंगार बनना भी अपनी सेहत से खिलवाड़ करना है।
अठखेलियाँ सूझना – (अर्थ – दिल्लगी करना)-
वाक्य प्रयोग – हमारी जान जा रही थी और तुमको अठखेलियाँ सूझ रही थी।
अँधेरे मुँह – (अर्थ – प्रातः काल, तड़के)-
वाक्य प्रयोग – वह अँधेरे मुँह ही घर से निकल पड़ा।
अड़ियल टट्टू – (अर्थ – रूक-रूक कर काम करना)-
वाक्य प्रयोग – अड़ियल टट्टू की भांति कुछ नहीं होगा, सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करो।
अपना घर समझना – (अर्थ – बिना संकोच व्यवहार)-
वाक्य प्रयोग – आप हमारे घर कोअपना घर ही समझकर रहें।
अड़चन डालना – (अर्थ – बाधा उपस्थित करना)-
वाक्य प्रयोग – तुम हमेशा ही मेरे काम में अड़चन डालते हो।
अरमान निकालना – (अर्थ – इच्छाएँ पूरी करना)-
वाक्य प्रयोग – सीता जी ने राम जी से विवाह करके अपना अरमान निकाला।
अंडे का शाहजादा – (अर्थ – अनुभवहीन)-
वाक्य प्रयोग – अरविन्द सिंह अपने पिता की सिफ़ारिश पर प्रमोशन तो पा गए लेकिन काम जरा भी नहीं आता, बस समझो कि वो अंडे का शहजादा है।
अरण्य-चन्द्रिका – (अर्थ – निष्प्रयोजन पदार्थ)-
वाक्य प्रयोग – अनपढ़ गंवार सतीश के घर में वेद, उपनिषद और गीता जैसे ग्रन्थों का क्या काम, बस अरण्य चंद्रिका की तरह रखे रहते हैं।
अगिया बैताल – (अर्थ – क्रोधी, हानि पहुँचाने वाला व्यक्ति)-
वाक्य प्रयोग – दानवों ने अगिया बैताल जैसा कार्य किया, जिससे भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लेकर उनका विनाश किया।