किसानों को ग्रीनहाउस व नर्सरी को स्थापित करने के लिए तकनीकी जानकारी दी गई। कार्यक्रम में लगभग 70 उद्दमियों ने हिस्सा लिया। कई जिलों से आए हुए उद्दमियों एवं विशेषज्ञों द्वारा बागवानी खेती उद्दम के लिए आवश्यक तकनीकियों पर चर्चा की गई। इसके लिए आवश्यक रजिश्ट्रेशन, आवश्यक प्रक्रियाएं आदि पर विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्ड( सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल एंड रूरल डेवलेपमेंट) व सीआईएसएच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सुधीर गर्ग (प्रिंसिपल सेक्रेटरी,बागवानी), डॉ. अनीस अंसारी (चैयरमैन सी.ए.आर.डी) नबीन राय (ए.जी.एम, नाबार्ड), नीरा चक्रवर्ती (जोनल मैनेजर, इंडियन बैंक), डॉ. एस राजन निदेशक( सीआईएसएच) ने शुभारंभ के अवसर पर हिस्सा लिया।
कार्ड के डॉ. अंसारी ने उत्तर प्रदेश में बागवानी में मूल्य संवर्धन पर जोर दिया। यूपी देश में बागवानी उत्पादन के दृष्टिकोण से दूसरा बड़ा राज्य है। बागवानी के अन्तर्गत बढ़ता हुआ रकबा इस क्षेत्र में सर्वाधिक लाभ का संकेत है। सुधीर गर्ग ने बागवानी खेती से उद्दम व सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं के बारे में बताया।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनीष मिश्रा ने बागवानी के अन्तर्गत टिशू कल्चर के बारे में जानकारी दी। साथ ही प्रदेश में उच्च स्तरीय बागवानी व ग्रीन हाउसेस से बढ़ती हुई संभावनाओं पर विशेषज्ञों द्वारा विस्तार में विचार-विमर्श किया गया। डॉ. मिश्रा ने बाजार व आर्थिक परिप्रेक्ष्य में भी अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
संस्थान के निदेशक डॉ. राजन ने कहा कि कई उत्तर प्रदेश में बागवानी की कई फसलों में अग्रणी है। हालांकि उनके उत्पादों का बेहतर ढंग से प्रसंस्करण में अभी अनियमितता है। लेकिन जैसे-जैसे बागवानी से उद्दम का विकास हो रहा है प्रदेश में उद्दमियों को प्रसंस्करण के लिए उद्दोग करना चाहिए। भविष्य में उद्दमियों के पास इस दिशा में कार्य करने के लिए बेहतरीन अवसर हैं।
बागवानी में आजकल कम लागत की तकनीकों का इस्तेमाल कर लाभ उठाया जा सकता है। संस्थान ने कई तकनीकों को विकसित किया है जिनका कई राज्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है। ये वाकई कम लागत में अधिक लाभ देने वाली हैं। इस प्रकार की 10 नई तकनीकों को विकसित किया जा चुका है।
उद्दमी बागवानी द्वारा अधिकतम लाभ कमाकर इस क्षेत्र में नई संभावित ऊंचाईयों तक पहुंचा सकते हैं। टिशू कल्चर एवं नर्सरी के द्वारा उद्दोग के अधिक अवसर हैं।