OCD के कारण और उपाय / OCD causes and remedies
ओसीडी OCD ( Obsessive-compulsive disorder ) दिमाग सम्बन्धी समस्या है जो ठीक हो सकती है। इससे पीड़ित इंसान अपने किसी डर , वहम या चिंता से उपजे विचार और ख्यालों पर कंट्रोल नहीं कर पाता , इसके कारण वह एक ही हरकत बार बार दोहराता जाता है जैसे बार बार हाथ धोना , ताला चेक करना , पैसे या कोई चीज गिनना , कार का दरवाजा चेक करना , आदि .
ओसीडी क्या है –
यह एक आम समस्या है जिसमे एक व्यक्ति ( महिला या पुरुष ) को विचार (obsessions ) या उसके कारण की जाने वाली हरकत (compulsions ) पर काबू नहीं रह पाता . ना चाहते हुए भी वही विचार बार बार आता है या वो काम बार बार करने इच्छा या दबाव सा बना रहता है . जैसे कोई सूई पुराने रिकोर्ड पर अटक जाती है , वैसे ही दिमाग किसी एक विचार या काम पर अटक सा जाता है .
बार बार आने वाला ऐसा विचार जो चिंताग्रस्त या व्यग्र बना दे ऑब्सेशन Obsession कहलाता है . जैसे यह विचार कि ” हाथ गंदे हैं ” या कि ” कहीं दरवाजा खुला तो नहीं है ” . इस तरह के विचार बार बार आते हैं और व्यग्र बना देते हैं। इस चिंता को दूर करने के लिए बार बार हाथ धोना या बार बार दरवाजा चेक करना बाध्यता यानि कम्पलशन बन जाता है. इसे कम्पल्सिव बिहेवियर compulsive behaviour कहते हैं .
इस तरह की समस्या ओसीडी OCD ( Obsessive compulsive disorder ) कहलाती है। उपचार करवाने से यह परेशानी दूर हो सकती है। इसका उपचार नहीं लेने से पीड़ित व्यक्ति की कार्यविधि , उन्नति तथा सामाजिक रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता है .
ओसीडी के लक्षण –
ओसीडी से ग्रस्त व्यक्ति किसी एक काम को इतना ज्यादा बार दोहराते हैं किसी को भी अटपटा लग सकता है . कभी कभी यह मजाक का विषय बन जाता है और कभी झल्लाहट का कारण बन जाता है .
कुछ लोगों को टिक डिसऑर्डर भी हो सकता है . जिसमे बार बार आँख झपकाना , मुंह बनाना , कंधे उचकाना , अथवा सिर या कंधे को झटकना आदि शामिल है . इसके अलावा कुछ लोग बार बार गला साफ करने , नाक से आवाज करने या अन्य प्रकार की आवाज निकालने की आदत से ग्रस्त हो सकते हैं .
इनके अलावा ओसीडी के लक्षण सामान्य तौर पर कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं –
— संक्रमण के डर से बार बार हाथ धोना या घर में सफाई करते रहना .
— कुछ खो जाने, छुट जाने अथवा खुद को या करीबी को किसी नुकसान आदि से अकारण डरना .
— किताबें , बर्तन , कालीन या सोफा कुशन आदि बार बार व्यवस्थित करना .
— पैसे या कोई अन्य वस्तु बार बार गिनना .
— धार्मिंक या यौन सम्बन्धी तथा अन्य दकियानूसी बातों का अन्धविश्वास करके उन्हें भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली मानकर डरना .
— पुरानी बेकार चीजें जमा करते रहना , इस डर से नहीं फेंकना की उससे कुछ बुरा हो सकता है . जैसे पुराने अख़बार , कपड़े , लेटर , बर्तन या फर्नीचर आदि .
— सुरक्षा को लेकर अकारण डरना और गैस स्टोव या दरवाजा आदि बार बार चेक करना .
लक्षण आते जाते रह सकते है , समय के साथ ठीक भी हो सकते हैं और स्थिति बदतर भी हो सकती है . ओसीडी से ग्रस्त व्यक्ति इस स्थिति के समाधान के लिए कभी कभी शराब या अन्य नशीली दवाओं का सहारा तलाश करने लगते हैं, जो कि गलत होता है .
ओसीडी का कारण –
ओसीडी की परेशानी अधिकतर किशोरवस्था में शुरू होती है . लड़कों को यह अपेक्षाकृत थोड़ा जल्दी भी हो सकती है . ओसीडी का कोई पुख्ता कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन कुछ लोगों को इन कारणों से यह परेशानी हो सकती है –
— अनुवांशिकता यानि माता पिता या भाई बहन किसी को होने पर इसके होने की सम्भावना बढ़ जाती है .
— सिरोटोनिन Serotonin नामक हार्मोन के असंतुलन के कारण ओसोडी हो सकता है .
— किसी नई जिम्मेदारी के बोझ या तनाव जैसे नौकरी या अन्य पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण ओसीडी हो सकता है .
— कुछ लोग में स्वाभाविक रूप से ज्यादा ही साफ सुथरे, सतर्क रहने या हर काम की जिम्मेदारी लेने की भावना होती है. ऐसे लोगों को ओसीडी हो सकता है .
— जिन लोगों को शारीरिक या यौन सम्बन्धी पीड़ा झेलनी पड़ी हो उन्हें ओसीडी होने का खतरा अधिक होता है .
— किसी गहरे सदमे के कारण इसके लक्षण उभर सकते हैं ,
ओसीडी का उपचार –
ओसीडी से ग्रस्त इन्सान को खुद की हरकतें असामान्य नहीं लगती . लेकिन यदि इससे ग्रस्त व्यक्ति मान ले, कि उसे यह बीमारी है तो इलाज ज्यादा आसानी से हो सकता है .
सामान्य तौर पर साईकियाट्रिस्ट ( मनोविज्ञानी ) , साईकोलोजिस्ट ( मनो चिकित्सक ) , समाजसेवी या अन्य काउंसलर की मदद से उपचार किया जाता है . कुछ दवाएँ भी लेनी पड़ सकती हैं .
ओसीडी के इलाज के दौरान सोचने विचारने का , शारीरिक व्यवहार का तथा विचार या गलत आदत से बचने का अलग नजरिया या तरीका सुझाया जाता है . चिंता , विचार और डर से सकारात्मक तरीके से निपटना सिखाया जाता है .
इस दौरान परिवार के सदस्यों का सहयोग जरुरी होता है . इन्हें अपनाने से ध्रीरे धीरे सुधार होने लगता है . हो सकता है कि इलाज कुछ लम्बा चले . धैर्य के साथ कोशिश करने से बहुत हद तक सफलता मिल जाती है . परिवार के सदस्यों से यह सहयोग अपेक्षित रहता है –
— ना तो पीड़ित की आलोचना करें और ना कोई नकारात्मक बात करें .
— उसका मजाक ना बनायें . वह जो करता है उसे जबरदस्ती रोकने की कोशिश ना करें .
— घर का माहौल अच्छा बनाये रखें . पीड़ित को व्यस्त रखने की कोशिश करें जिससे वह कम्पल्सिव बिहेवियर से बचा रह सके .
— पीड़ित को खुश रखने की कोशिश करते रहें .
ओसीडी से ग्रस्त व्यक्ति को खुद भी ठीक होने के प्रयास करने चाहिए जो इस प्रकार हो सकते हैं –
— खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें . एक्सरसाइज़ , पैदल घूमना , जोगिग , संगीत , किताब पढना आदि जो भी पसंद हो उसका सहारा लिया जा सकता है .
— जब भी बार बार किसी काम को करने का दबाव महसूस हो उसे डायरी में लिख लें . इससे विचार आने कम हो सकते हैं .
— यदि किसी बात की चिंता करनी है तो उसके लिए एक कमरे में दस मिनट का समय फिक्स कर लें . उस समय जो विचार आते हैं आने दें . फिर तीन चार गहरी सांस लेकर अपने काम में लग जाएँ . इससे दिन भर या सोते समय नेगेटिव विचार नहीं आयेंगे.
— ध्यान और योग आदि सीख कर रोज करें , संतुलित पौष्टिक डाईट लें इससे शरीर और मन मजबूत होता है और चिंता दूर होती है .
— शराब . सिगरेट आदि नशीली चीजों से दूर रहें .
— परिवार और दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें .