रामायण के एक विचित्र बात / Real fact about Ramayana
आज मैं आपसे कुछ भगवान् श्री राम और रामायण के एक विचित्र बात बताना चाहूंगा
रामायण की व्याख्या एक जीवन की चल रही जीती जागती मूरत है अर्थार्त अगर मैं एक लाइन मै कहना चाहु तो
‘रा’ का मतलब है प्रकाश , ‘म’ का मतलब है मेरे अंदर और मेरे ह्रदय में तो राम का पूरा अर्थ निकलता है
मेरे ह्रदय मै प्रकाश |
यहॉ प्रकाश का तातपर्य उर्जावान, धैर्य, यथा शक्ति, निडरता और आत्मविश्वास से है |
राम के पिता का नाम दशरथ था,तथा माता का नाम कौशल्या था |
दशरथ का मतलब : दस रथ, दस रथ मै 5 रथो से तात्पर्य हमारी पांचो ज्ञानेन्द्रिय का है और शेष पांच रथो का तातपर्य कर्मेन्द्रियों से है |
कौशल्या का मतलब योग्यता होता है | अर्थार्त एक योग्यवान दस रथो के चालक ने राम को जनम दिया |
(the skillful rider of the ten chariots can give birth to राम)
राम का जन्म अयोध्या मै हुआ था | अयोध्या का मतलब है – एक स्थान जहाँ कभी लड़ाई नही हुई
जब हमारे मन मै कोई ऐसी बात नहीं होती जिससे झगड़ा उत्पन्न हो तब वहाँ प्रकाश, शुभता और कांति का भोर होता है |
रामायन्य केवल एक कथा ही नहीं है जो हजारो साल पहले हुई वल्कि यह तात्विक, आध्यात्मिक और एक अटल गहरा सत्य है |
ऐसा कहाँ जाता है की रामायण हमारे शरीर के अंदर समाहित है |
आयी जानते है कैसे —-
हमारी आत्मा राम के सामान है
हमारा मन सीता के सामान है
हमारी जीवन शक्ति अर्थार्त प्राण हनुमान है
हमारी जागरूकता लक्ष्मन है और हमारा अहंकार रावण है
आयी इसको और समझने की कोशिश करते है :
जब हमारा मन (सीता), अहंकार (रावण) के द्वारा हर लिया जाता है | तब हमारी आत्मा (राम) व्याकुल हो जाती है | तब हमारी आत्मा (राम) खुद मन को वापिस केंद्रित नहीं कर पाती है |
तब हमारी आत्मा को साधना या यह कह लिजीये धियान अथवा गहरी साँसों व जीवन शक्ति (हनुमान) और जागरूकता (लक्ष्मन) की आवश्यकता पढ़ती है |
सो अन्त मै हमारी आत्मा (राम) जागरूकता और अपनी जीवन शक्ति के बल पर पुनः मन को पा लेने मै सक्षम हो जाता है और हमारे अंदर का अहँकार (रावण) भी मिट जाता है |
वास्तिविकता मै रामायण हमारे जीवन की एक अनन्त घटना है जिसको जानना बहुत ही आवश्यक है |