सांता क्लॉस Santa Claus का इंतजार क्रिसमस ईव पर बच्चों को बेसब्री से रहता है। सांता का नर्म सफ़ेद फर वाला लाल रंग का कोट , लाल टोपी वाली वेशभूषा को देखकर बच्चे बहुत रोमांचित और खुश हो जाते हैं। सांता अपने थैले से जब टॉफी और गिफ्ट बच्चों को देते है तो उनके चेहरे ख़ुशी से चमक जाते हैं।
सांता क्लॉज़ कहाँ रहते हैं और क्या करते हैं
कहा जाता है कि सांता क्लॉज़ नार्थ पोल पर अपनी पत्नी के साथ रहते है। वहां अपने करामाती बौने दोस्तों की मदद से साल भर खिलोने बनाने में व्यस्त रहते हैं। उन्हें क्रिसमस गिफ्ट के लिए बच्चों के पत्र मिलते रहते हैं। क्रिसमस ईव पर सांता क्लॉज़ अपनी रेनडियर वाली स्ले गाड़ी में खिलोने भरकर दुनिया भर में घूमते हैं। सांता अपने रेनडियर्स को जादुई गाजर और दाना खिलाते हैं जिसके कारण वे आसमान में उड़ पाते हैं।
बच्चों द्वारा क्रिसमस ट्री के पास , तकिये के पास या चिमनी के पास रखे हुए बैग , मोज़े आदि को गिफ्ट्स , खिलोने , चॉकलेट , टॉफी से भरकर खुशियाँ बांटते हैं। इसलिए घरों में बच्चे रात को बैग , मोज़े वगैरह तैयार करके विशेष जगह रख देते हैं ताकि सांता क्लॉस उनके लिए गिफ्ट्स रख सकें। सुबह क्रिसमस गिफ्ट पाकर बच्चे बहुत खुश होते हैं।
क्या आप जानते हैं कि सांता क्लास कहाँ से आते हैं , ये असल में कौन हैं और बच्चों को उपहार क्यों देते हैं। आइये जाने सांता क्लास के बारे में।
सांता क्लॉज़ असल में कौन हैं
सांता क्लॉज़ पूरी दुनिया में क्रिश्चियन लोगों के त्यौहार क्रिसमस वाले दिन बच्चों में खुशियां बांटते हैं। ये सांता क्लॉज़ असल में तीसरी शताब्दी में हुए संत निकोलस का प्रतिरूप हैं। संत निकोलस क्रिश्चियन थे और क्रिसमस मनाने के लिए गरीब बच्चों को गिफ्ट्स देते थे ताकि वे भी क्रिसमस मना सकें। परन्तु आज जो सांता नजर आते है ,संत निकोलस वैसे बिल्कुल नहीं दिखते थे यानि वे मोटे गोलमटोल और मजाकिया टाइप के नहीं थे।
संत निकोलस – Saint Nicholas
संत निकोलस ईसाई धर्म गुरु ( Bishop ) थे। वे क्रिश्चियन थे और जीसस क्राइस्ट के अनुयायी थे तथा मायरा नामक देश ( टर्की ) में रहते थे। वे बहुत दयालु थे और जरुरत मंद लोगों की चुपचाप मदद कर देते थे। उनके बारे में एक दन्त कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है –
एक गरीब आदमी के तीन लड़कियां थी। गरीबी के कारण उनकी शादी नहीं हो पा रही थी। एक दिन संत निकोलस ने उनके घर की चिमनी में सोने से भरी हुई एक गठरी डाल दी ताकी लड़की की शादी हो सके। वह गठरी चिमनी में सुखाने के लिए रखी हुई स्टोकिंग में जा गिरी। परिवार को जब स्टोकिंग में रखा सोना मिला तो एक लड़की की शादी हो गई। दूसरी लड़की की शादी भी ऐसे ही हुई। चिमनी से सोना मिला।
गरीब आदमी यह पता करने के लिए कि कौन मदद कर रहा है रोज छुपकर निगाह रखने लगा। एक दिन उसने संत निकोलस को सोना डालते देख लिया। संत ने किसी को कुछ भी बताने से मना किया क्योंकि वे महान बनना नहीं चाहते थे। लेकिन फिर भी यह खबर फ़ैल गई और इसके बाद किसी को कुछ भी गुप्त रूप से उपहार मिलता तो उसे संत निकोलस द्वारा दिया हुआ माना जाने लगा।
संत निकोलस को उनकी सज्जनता , उदारता , त्याग , और दरियादिली के कारण बहुत सम्मान दिया जाने लगा था और अनेक लोग उनके अनुयायी बन गए थे।
बाद में डायोक्लेशन नामक अत्याचारी शासक के समय संत निकोलस को मायरा से देश निकाला दे दिया गया था। चौथी शताब्दी में 348 के आसपास 6 दिसम्बर को उनकी मृत्यु हो गई थी।
उत्तरी यूरोप में कुछ शताब्दियों तक उन्हें भुला दिया गया थे । परन्तु UK में विशेषकर इंगलैंड में क्रिसमस पर ” फादर क्रिसमस ” के नाम से बच्चों को गिफ्ट , मिठाइयाँ आदि देकर खुश किया जाता था। विश्व के अन्य देशों में भी क्रिसमस के अवसर पर बच्चों को चुपचाप उपहार देने का जरिया किसी ना किसी अन्य रूप में जारी रहा।
होलेन्ड देश में उन्हें सिंटर क्लास ( संत निकोलस के नाम का डच भाषा में रूपांतर ) के रूप में मानना और उनकी बातों की पालना करना जारी रहा। इनमे से कुछ लोग जब न्यूयॉर्क अमेरिका जाकर बसे तो उन्होंने यह खुशनुमा परम्परा अमेरिका में भी जारी रखी। अमेरिका के इंग्लिश बोलने वाले सभी लोगों ने उन्हें सांता क्लॉज़ के नाम से अपना लिया। क्रिसमस पर उन्हें विशेष तौर से याद किया जाने लगा।
आज के सांता क्लॉज़ का रूप “ थॉमस नास्त “ नामक कार्टूनिस्ट द्वारा बनाए गए संत निकोलस के चित्र पर आधारित है। उस चित्र में कुछ सुधार करके कोका कोला कंपनी ने अपने विज्ञापन में सांता क्लॉज़ को लाल रंग का सफ़ेद फर वाला नर्म कोट और कैप , सफ़ेद दाढ़ी और काले रंग की बेल्ट , काले जूते आदि पहने हुए दर्शाया। यह विज्ञापन और सांता क्लॉज़ बहुत अधिक पसंद किये गए और सांता क्लॉज़ का वही रूप आज सब जगह दिखाई देता है।