गुरुवार का व्रत Thursday Fast करने से धन तथा विद्या का लाभ होता है। इस दिन गुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी भगवान विष्णु का दिन होता है। अतः इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
गुरुवार का व्रत जल्दी विवाह होने के लिए भी किया जाता है। पुरुष और महिला दोनों को यह समान रूप से वैवाहिक जीवन का लाभ देता है। गुरु की कृपा सौभाग्य का कारण बनती है। गुरुवार के दिन बाल कटवाना , नाख़ून काटना , पोछा लगाना , सिर के बाल धोना तथा शेविंग करना वर्जित माने जाते हैं।
गुरुवार का व्रत –
गुरुवार के व्रत में एक ही समय भोजन किया जाता है। बृहस्पति वार Brahapati var का व्रत करने पर पीले रंग के कपड़े पहनना ,पीले पुष्प धारण करना ,अच्छा होता है। भोजन में चने की दाल किसी भी रूप में लेनी चाहिए।
नमक नहीं खाना चाहिए , पीले रंग के फूल , चने की दाल ,पीले कपड़े और पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए। पूजन के बाद बृहस्पति वार के व्रत की कहानी सुननी चाहिए।
गुरुवार का व्रत कथा –
किसी गांव में एक साहूकार रहता था। उसका घर धन धान्य से भरपूर था। किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। उसकी पत्नी बहुत कंजूस थी। किसी प्रकार का दान आदि नहीं करती थी। किसी भिक्षार्थी को भिक्षा नहीं देती थी। अपने काम काज में व्यस्त रहती थी।
एक बार एक साधु महात्मा गुरुवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना करने लगे। वह घर को लीप रही थी। बोली – महाराज अभी तो मैं काम में व्यस्त हूँ , आप बाद में आना। साधु महाराज खाली हाथ लौट गए।
कुछ दिन बाद वही साधु महाराज फिर भिक्षा मांगने आये। उस दिन वह अपने लड़के को खाना खिला रही थी। बोली इस समय तो में व्यस्त हूँ , आप बाद में आना। साधु महाराज फिर खाली हाथ चले गए।
तीसरी बार फिर आये तब भी व्यस्त होने होने के कारण भिक्षा देने में असमर्थ होने की बात कहने लगी तो साधु महाराज बोले – यदि तुम्हारे पास समय ही समय हो , कुछ काम ना हो तब क्या तुम मुझे भिक्षा दोगी ?
साहूकारनी बोली – यदि ऐसा हो जाये तो आपकी बड़ी कृपा होगी।
महात्मा बोले -मैं तुम्हे उपाय बता देता हूँ। तुम बृहस्पतिवार के दिन देर से उठना, आंगन में पौंछा लगाना। सभी पुरुषों से हजामत आदि जरूर बनवा लेने को कह देना।
स्त्रियों को सर धोने को और कपड़े धोने को कह देना। शाम को अँधेरा हो जाने के बाद ही दीपक जलाना। बृहस्पतिवार के दिन पीले कपड़े मत पहनना और कोई पीले रंग की चीज मत खाना।
ऐसा कुछ समय करने से तुम्हारे पास समय ही समय होगा। तुम्हारी व्यस्तता समाप्त हो जाएगी। घर में कोई काम नहीं करना पड़ेगा।
साहूकारनी ने वैसा ही किया। कुछ ही समय में साहूकार कंगाल हो गया। घर में खाने के लाले पड़ गए। साहूकारनी के पास अब कोई काम नहीं था , क्योंकि घर में कुछ था ही नहीं।
कुछ समय बाद वही महात्मा फिर आये और भिक्षा मांगने लगे। साहूकारनी बोली महाराज घर में अन्न का एक दाना भी नहीं है। आपको क्या दूँ।
महात्मा ने कहा – जब तुम्हारे पास सब कुछ था तब भी तुम व्यस्त होने के कारण कुछ नहीं देती थी। अब व्यस्त नहीं हो तब भी कुछ नहीं दे रही हो। आखिर तुम चाहती क्या हो ?
सेठानी हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी – महाराज मुझे क्षमा करें। मुझसे भूल हुई। आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करुँगी। कृपया ऐसा उपाय बताओ की वापस मेरा घर धान्य से भरपूर हो जाये।
महाराज बोले – जैसा पहले बताया था उसका उल्टा करना है। बृहस्पतिवार के दिन जल्दी उठना है , आंगन में पोछा नहीं लगाना है। केले के पेड़ की पूजा करनी है। पुरुषों को हजामत आदि नहीं बनवानी है। औरतें सिर ना धोये और कपड़े भी न धोये। भिक्षा दान आदि जरूर देना।
शाम को अँधेरा होने से पहले दीपक जलाना। पीले कपड़े पहनना। पीली चीज खाना। भगवान बृहस्पति की कृपा से सभी मनोकामना पूरी होंगी। सेठानी ने वैसा ही किया। कुछ समय बाद उसका घर वापस धन धान्य से भरपूर हो गया।
बोलो विष्णु भगवान की जय…!!!
बृहस्पतिवार की आरती
Brihaspati Dev ki aarti
ओम जय बृहस्पति देवा ,स्वामी जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊं , कदली फल मेवा ।।
ॐ जय ..
तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतर्यामी ।
जगत पिता जगदीश्वर , तुम सबके स्वामी ।।
ॐ जय ..
चरणामृत निज निर्मल , सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक , कृपा करो भर्ता ।।
ॐ जय ..
तन मन धन अर्पण कर , जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर , आकर द्वार खड़े ।।
ॐ जय ..
दीन दयाल दयानिधि , भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता , भव बंधन हारी ।।
ॐ जय ..
सकल मनोरथ दायक , सब संशय हारी ।
विषय विकार मिटाओ , संतान सुखकारी ।।
ॐ जय ..
जो कोई आरती , प्रेम सहित गावे ।
जेष्ठानन्द कंद सो निश्चय पावे ।।
ॐ जय ..
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