चेचक के उपचार / Treatment of smallpox

चिकन पॉक्स एक तरह का रोग है, जो कि काफ़ी तकलीफ़ देह होता है. इसे वरिसल्ला (varicella) भी कहा जाता है. जिस व्यक्ति को यह रोग होता है, उसके शरीर पर लाल लाल फफोले हो जाते हैं, जो व्यक्ति को काफ़ी दर्द पहुंचाता है. मेडिकल की उन्नति से इसका इलाज काफ़ी संभव हो पाया है. हालाँकि दवाओं के साथ साथ कई तरफ के परहेज़ आदि करने की भी आवश्यकता होती है. यहाँ पर इस रोग के उपचार से सम्बंधित सभी आवश्यक और विशेष जानकारियां दी जायेंगीं.

चेचक के दाग स्किन में बहुत अंदर तक जुड़ जाते है, जिसे निकालना आसान नहीं होता. इनको मिटाने के लिए बहुत सी दवाइयां अब आ गई है लेकिन ये स्किन के लिए नुकसानदायी भी होती है. दवाइयों में बहुत से केमिकल होते है जो कई बार असर करने की जगह नुकसान पहुंचाते है. इस बीमारी के बाद शरीर में अवरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे इन चेचक पर आसानी से संक्रमण हो जाता है. इस दाग को दूर करने के लिए सबसे अच्छा है कि हम आयुर्वेद का रास्ता चुने और घरेलू उपाय अपनाएं.

 

चिकन पॉक्स के लक्षण –

चिकन पॉक्स होने का सबसे आम लक्षण ये है कि रोगी के शरीर पर खुजली युक्त रैश नज़र आने लगते हैं. रैश होने के 7 दिन से 21 दिनों के पहले से ही शरीर में इन्फेक्शन होने लगता है.

इसके अलावा व्यक्ति इस रोग के होने पर कमज़ोर होता चला जाता है और उसे बुखार आदि भी होते रहते हैं.

इस रोग में व्यक्ति का सर दर्द होना आम है.

धीरे धीरे शरीर में लाल फफोले हो जाते हैं, जिसमे पानी जमना शुरू हो जाता है. इन घावों से पानी निकलने लगता है और काफ़ी जलन भी होती है.

चिकन पॉक्स होने का कारण –

चिकन पॉक्स होने का सबसे बड़ा कारण है वरिसला- जोस्टर वायरस  (Varicella-zoster virus), जिसकी वजह से किसी व्यक्ति को यह रोग होता है. यह रोग छुआछूत से फैलने वाला है, अतः जिस व्यक्ति को पहले से यह रोग है, उससे कांटेक्ट होने पर भी अन्य व्यक्तियों को यह रोग हो सकता है. रोगी के शरीर पर लाल फफोले आने के 2 दिन पहले से ही यह वायरस रोगी पर हावी हुआ रहता है. चिकन पॉक्स होने पर लाल फफोलों के इर्द गिर्द यह वायरस स्थित रहते हैं, और तब तक पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाते, जब तक कि पूरी तरह से ये घाव सूख नहीं जाते. ध्यान देने वाली बात है कि जिस व्यक्ति को यह रोग हुआ हो, यदि उसके सामने बैठ कर बातें की जाएँ, तो भी उसकी साँस से चिकन पॉक्स फैलने के आसर होता हैं.

चिकन पॉक्स का उपचार –

चिकन पॉक्स होने के 1 या 2 सप्ताह के बाद यह अपने आप ठीक होने लगता है. इसका सीधा उपचार अभी तक नहीं आया है. यह ख़ुद ब ख़ुद ठीक होता है. हालाँकि इसका वैक्सीन ज़रूर मौजूद है, जिसे अपने बच्चों को सही समय पर दिला देना आवश्यक होता है. बच्चों को चिकन पॉक्स वैक्सीन दो बार दी जाती हैं. पहला वैक्सीन बच्चों को उसके जन्म के 12 से 15 महीनों के बीच तथा दूसरा 4 वर्ष से 6 वर्ष की उम्रावस्था के बीच दी जाती है. यह वैक्सीन काफ़ी काम करता है और लोगों में चिकन पॉक्स होने के असर को 90% तक कम कर देता है

हालाँकि इससे होने वाली परेशानियों का उपचार करना अतिआवश्यक है ताकि इससे होने वाली परेशानी कम से कम हो. इसके लक्षणों के उपचार का वर्णन निम्नलिखित है,

बुखार से राहत : बुखार से राहत प्राप्त करने के लिए रोगी को डॉक्टर के परामर्श से ylenol (acetaminophen) दिया जा सकता है. ध्यान रखें कि बुखार के लिये एस्पिरिन सम्बंधित दवाएं उन्हें न दिए जाये.

डिहाइड्रेशन से राहत : डिहाइड्रेशन से राहत के लिए रोगी को अधिक से अधिक तरल पेय देने की आवश्यकता होती है. रोगी को जितना अधिक जल पिलाया जाए उतना बेहतर होता है. बच्चों को डिहाइड्रेशन से राहत के लिए डॉक्टर की परामर्श लेकर Pedialyte दिया जा सकता है.

मुँह की रूचि के लिए : इस समय रोगी को कुछ भी खाने का मन नहीं करता है. मुँह में अरुचि हो जाती है. साथ ही खाना चबाने में भी काफ़ी तकलीफ़ होती है. ऐसे समय में रोगी के मुँह की रूचि बढाने के विभिन्न जायकेदार सूप बना कर दिया जा सकता है. सूप अधिक मसालेदार न हो तो बेहतर है.

खुजली और जलन से राहत : खुजली से राहत के लिए शरीर पर डॉक्टर से परामर्श लेकर लोशन लगाए जा सकते हैं. साथ ही रोगी को हलके कपडे ही पहनाएं. इससे शरीर के विभिन्न हिस्से में हवा लगेगी और रोगी को जलन से राहत प्राप्त हो सकती है.

चिकन पॉक्स का घरेलु उपचार निम्न तरह से किया जा सकता है.

बेकिंग सोडा : बेकिंग सोडा के उपयोग से रोगी को जलन और खुजली से राहत दिलाई जा सकती है. एक ग्लास पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा डाल कर उसे अच्छे से मिला लें. इसके बाद किसी नर्म कपडे को इसमें भींगा कर घाव पर रखें. अथवा रोगी के नहाने के पानी में भी इसे मिला कर रोगी को नहलाया जा सकता है.

इंडियन लीलाक (बकाइन) : इसकी सहायता से फफोलों को सूखने में मदद प्राप्त होती है. इसका एंटीवायरल गुण इस रोग के उपचार में भी काफ़ी मदद करता है. एक मुट्ठी ताज़े नीम के पत्ते लें और उसे अच्छे से पीस कर घाव पर लगाएं. इससे रोग के उपचार में मदद प्राप्त हो सकेगी.

गाजर और धनिया : गाजर और धनिया द्वारा बनने वाला सूप का प्रयोग इसके उपचार के लिए किया जाता है. इन दोनों का एंटीओक्सीडेंट गुण इसके उपचार के लिए काफ़ी लाभप्रद होता हैं. 100 ग्राम गाजर और लगभग 60 ग्राम धनिया पत्ते के प्रयोग से सूप बनाएं और रोज़ इसका सेवन करें.

ब्राउन विनेगर : ब्राउन विनेगर का प्रयोग इस रोग से होने वाले जलन आदि को कम करने में सहायता करता है. गुनगुने पानी में इसे मिलाकर समस्त घावों पर इस घोल को हलके कपडे से सेकें. इससे काफ़ी राहत प्राप्त होगी.

ओटमील : ओटमील बात की सहायता से भी रोगी को जलन और खुजली से राहत प्राप्त होती है. 2 कप ओटमील को अच्छे से पीस लें. इसे गुनगुने पानी में मिला कर इस मिश्रण का प्रयोग रोगी के घावो पर करें. रोगी के नहाने के पानी में भी इसे मिलाया जा सकता है.

चिकन पॉक्स डाइट –

इस रोग के रोगी को खाने में कई तरह के परहेज करने की आवश्यकता होता है. इस समय रोगी को विटामिन ए, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों की काफ़ी आवश्यकता होती है. अतः इसकी भरपाई करने के लिए नियमित डाइट देने की आवश्यकता होती है. इसके लिए विशेष डाइट का वर्णन नीचे किया जा रहा है,

रोगी के डाइट में केला, चावल, सेव, टोस्ट आदि चीजें दी जा सकती हैं. ये सभी चीज़ें पौष्टिकता से भरपूर होती हैं. केला और सेव का स्वाद मीठा होता है. इस समय रोगी के मुँह में कडवाहट होती है, अतः रोगी को यह अच्छा लगता है.

नारियल पानी भी इस समय रोगी को नियमित रूप से दिया जा सकता है. नारियल पानी में कई महत्वपूर्ण मिनिरल पाए जाते हैं, साथ ही यह जीरो कैलोरी डाइट है. इसके सेवन से रोगी के शरीर में निकले घावों की जलन कम होती है.

इस समय रोगी को उबली हुई सब्ज़ियाँ खिलाने की आवश्यकता होती है. गाजर, मीठा आलू, बीन, बन्दा गोभी आदि सब्जियों को उबाल कर इसका सेवन रोगी को कराने से रोगी के स्वास्थ्य को काफ़ी लाभ पहुँचता है.

दही का सेवन ऐसे रोग में काफ़ी लाभ पहुंचता है. ध्यान देने वाली बात है की ऐसे रोगों में दही त्वचा सम्बंधित परेशानियां कम करने में काफ़ी मदद करता है. साथ ही रोगी दिन भर में जितनी बार चाहे दही खा सकता है.

क्या न खाएं : इस समय रोगी को अंडा, मीट, तैलीय और मसालेदार खाने से बचने की ज़रुरत होती है. अतः इस समय बाजारी चीज़ें भी न खाना ही बेहतर होता है. जितना अधिक हो सके केवल उबली हुई चीज़ें अथवा प्राकृतिक चीज़ों का ही सेवन करें.

चिकन पॉक्स का दाग़ कैसे हटायें –

रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद भी इस समय हुए घावों का दाग़ पूरे शरीर पर रह जाता है. यह दाग़ देखने में काफ़ी भद्दा होता है, जो सुन्दर लोगों को भी कुरूप बना देता है. इस दाग़ को हटाने के उपचार का वर्णन नीचे किया जा रहा है.

मधु : मधु के प्रयोग से चिकन पॉक्स के दाग़ से छुटकारा प्राप्त हो सकता है. शुद्ध मधु यदि दाग़ वाले स्थान पर समय समय पर लगाया जाता रहे तो, धीरे धीरे दाग़ कम होने लगता है.

अलोवेरा : अलोवेरा की सहायता से भी यह दाग़ जा सकता है. इसके लिए एलोवेरा का पत्ता तोड़ कर उसका जेल निकालें और उसे चिकन पॉक्स के दाग़ों पर लगाएं. इसके बाद इसे सूखने तक ऐसे ही छोड़ दें. प्रतिदिन लगभग 2 से 3 बार ऐसा करने से दाग़ जाने लगते हैं.एलोवेरा के पत्ते और जूस के फ़ायदे यहाँ पढ़ें.

नीबू का प्रयोग : लेमन जूस की सहायता से भी इन दाग़ों से छुटकारा पाने में मदद प्राप्त हो सकती है. किसी रुई में इसे लेकर शरीर के उन स्थानों पर लगाए और रगड़ें जहाँ पर दाग़ के निशान हैं. इसके बाद 15 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें. 15 मिनट के बाद इसे धो लें. ऐसा तब तक करें जब तक दाग़ पूरी तरह से चला न जाए.

कोकोआ बटर : इसके लेप से भी चिकन पॉक्स के अनचाहे दाग़ से छुटकारा प्राप्त हो सकता है. आपको इसका लाभ पाने के लिए रोज़ 3 से 4 बार अपने शरीर के दागयुक्त स्थानों पर इसका लेप करना होगा.

कोकोनट आयल : एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट आयल की सहायता से भी दाग़ से मुक्ति का उपचार प्राप्त होता है. इसे दिन भर में 3 से 4 बार अपने पूरे शरीर पर मालिश करें, धीरे धीरे दाग़ मिटने लगता है.

टमाटर का उपयोग: टमाटर विटामिन E से भरपूर होता है. हमें इन दागों को मिटाने के लिए विटामिन E से युक्त भोजन ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए जैसे टमाटर, हेज़ल नट्स आदि. टमाटर के पल्प को आप दाग में लगायें, थोड़ी देर बाद इसे पानी से धो लें. टमाटर काले धब्बे हटाने में बहुत सहायक होता है.इसके अलावा आप टमाटर के रस में नीबू का रस मिला कर लगायें. ये भी चेचक के दाग में बहुत फायेदेमंद है.

लहसुन का उपयोग : लहसून का रस निकाल लें. अब इसे दिन में कई बार दाग पर लगायें. जल्दी आपको परिणाम मिलेगा.

दूध का उपयोग : अपनी स्किन को जब भी धोएं तो पानी की जगह ठन्डे दूध का इस्तेमाल करें.

Tea Tree आयल का उपयोग : यह आयल बाजार में आसानी से मिल जाता है. चेचक के दाग मिटने में यह बहुत असरदार होता है. इसे दिन में कई बार दाग में लगायें आपके दाग जल्दी ही गायब होने लगेंगे.

चन्दन का उपयोग: चन्दन तो सौन्दर्य का प्रसाधन है. यह हमारी स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है. इसे लगाने से चेचक के दाग भी मिट जाते है. चन्दन पाउडर में थोडा सा ओलिव आयल मिलाएं और इसे दाग पर लगायें. रोज ऐसा करने से आपको बहुत जल्दी और अच्छे परिणाम मिलेंगे.

बेकिंग सोडा का उपयोग : बेकिंग सोडा स्किन के ph लेवल को control करता है. इसे लगाने से खुजली की समस्या भी हल होती है. 2 tbsp बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर पेस्ट बनायें. अब इसे दाग में स्क्रब की तरह लगायें और 1-2 मसाज करें. फिर इसे पानी से धो लें.

पपीता का उपयोग : पपीता स्किन से dead सेल्स निकाल देता है जिससे ड्राई स्किन निकल जाती है और स्किन में moisture रहता है. 1 कप पपीता लें उसमें 5 tbsp शक्कर डालें फिर उसमें 5 tbsp दूध डालें. सभी को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें. अब इस पेस्ट को दाग पर लगायें और 15-20 लगे रहने दें. फिर पानी से साफ कर लें.

नारियल तेल का उपयोग: नारियल तेल इस तरह के दाग धब्बे निकालने में बहुत सहायक होता है. नारियल तेल को दाग पर लगायें और मसाज करें. ऐसा दिन में 4-5 बार करें. आपको परिणाम जरुर मिलेगा.

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