उकडीचे मोदक बनाने की सामग्री
कवर के लिए:
- चावल का आटा – 1 कप
- दूध – 3/4 कप
- पानी 3/4 कप
- घी – 2 चम्मच
भरने के लिए:
- नारियल – 1/2 कप
- गुड़ – 1/2 कप (बारीक़ किया हुआ)
- तिल बीज – 1 टेस्पून (भुना हुआ)
- 1 बड़ा चम्मच घी
- इलायची और जायफल पाउडर – 1/2 चम्मच
उकडीचे मोदक बनाने की विधि
आवरण को तैयार करने के लिए एक पैन में 3/4 कप पानी गरम करे और उसमें दूध और घी जोड़ें। एक बार जब मिश्रण उबलना शुरू हो तब गैस को बंद करे और एक थाली में चावल का आटा ले जब ऊपर बनाया हुआ पानी ठंडा हो जाए तब उसमें थोडा पानी डालकर आटा अच्छे से गूँथ ले। और अच्छेसे गूंथने के बाद उसे 10 मिनट के लिए रख दे।
जब तक हम भराई तैयार कर लेते हैं, एक नॉन-स्टिक पैन को गर्म कर उसमें 1 बड़ा चम्मच घी डालकर नारियल डालकर अच्छे से नारियल को भुनें बाद में बारीक़ किया हुआ गुड़ डालकर अच्छेसे मिला ले।
अब भुना हुआ तिल के बीज और इलायची और जायफल पाउडर डाले और अच्छे से मिक्स करें। इस भराई बनाने के दौरान आपको एक अच्छी खुशबू मिलेगी गैस मध्यम रखें।
थोड़ी देर बाद गैस बंद करके आप आने इच्छा के अनुसार उसमें बदाम और किशमिश भी दल सकते हैं।
भराई तैयार है
अब तक हमारा चावल की आटा अच्छेसे मिक्स हो गया होंगा। अब एक प्लेट में पूरे आटे को निकालें और थोड़ा घी लगाकर उसे गूंधिये।
अब उसके एक छोटे गोले को अपने हथेलियों का उपयोग करके रोल करें। यदि आपके पास एक मोदक का साचा हैं तो उसमें थोड़ा घी लगाकर प्रयोग करके आटे को साचे में समतल कर दें, ध्यान रखे की इस पर कोई दरार नहीं होना चाहिए।
उस पर थोड़ी मात्रा में भराई रखें और साचे के किनारों से मोदक को सील करें।
इसी तरह सभी मॉडक तैयार करें। स्टीमर या प्रेशर कूकर का उपयोग करके आप सीटी के बिना 7-8 मिनट के लिए मोडक भाप कर सकते हैं जैसे कि हम मामोस बनाती हैं।
अब मोदक को एक कुकर में पानी डालकर उसपर एक जाली वाला बर्तन रखकर और जाली वाले बर्तन को घी लगाकर उसपर मोदक रखकर मोदक को 10 मिनट के लिए उबलने दे ऐसा करते समय कुकर की सिटी निकाल के
10 मिनट बाद धीरे-धीरे से एक एक करके हर मोदक प्लेट में निकाल ले।
और अपने भगवान गणेश को नैवेद्यमय के रूप में प्रस्तुत करें।
पुराणों के अनुसार, मोदक प्रभु गणेशजी ने एक प्रतियोगिता में जीता हुआ पुरस्कार था। देवी पार्वती के पास कुछ मोदक थे और यह निश्चित नहीं था कि इसे किसे दिया जाये। देवी पार्वती उलझन में पड़ गयी तभी पार्वती ने गणेशजी और कार्तिक स्वामी के बिच एक प्रतियोगिता का आयोजन करने का निर्णय लिया।
उसमे जो कोई भी विश्व को पूरा चक्कर लगाकर सबसे पहले आयेंगा वही विजेता होगा। दोनोँ ने ठीक हैं कहकर प्रतियोगीता शुरु की कार्तिक अपने वाहन गरुड़ पर विराजमान होकर विश्व परिक्रमा पर चले गयें ल्व्किन गणेश जी ने अपने पिता भगवान शिव जी और माता पार्वती के चारों ओर परिक्रमा करके यह प्रतियोगिता जीत गयें।
और माता पार्वती से सारे मोदक पुरस्कार के रूप में पा लिए इसलिए कहा जाता हैं की गणपति बाप्पा को मोदक बहुत पसंद हैं।