उल्टी के कारण –
उल्टी के कारण कई तरह के हो सकते हैं जिनमे फूड-पोइजनिंग, इन्फेक्शन, ब्रेन और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में समस्या होना या कोई सिस्टमिक डिजीज होना शामिल हैं.
कुछ बिमारियों में जी घबराना और उल्टी आना आम होता है. जबकि उस समय रोगी में गेस्ट्रो इंटेस्टाईनल ट्रैक्ट या स्टमक का उल्टी के लिए कोई कारण नहीं होता जैसे निमोनिया,हार्ट अटेक और सेप्सिस.
कई बार उल्टी होने का कारण कोई दवाई का साइड इफ़ेक्ट,कैंसर कीमोथेरेपी में उपयोग में ली गई ड्रग्स या फिर रेडिएशन थेरेपी भी हो सकती हैं.
कुछ वाइरल इन्फेक्शन, सर में लगी चोट, गालब्लेडर डिजीज, एपेंडीसाईटीस, माइग्रेन, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन इन्फेक्शन, हाइड्रोसिफेलस (ब्रेन में बहुत सा फ्लूइड जमा होना,सर्जरी में उपयोग आने वाले एनेस्थिशिया के साइड इफ़ेक्ट,स्टोमक प्रोब्लम जैसे ब्लॉकेज (पाइलोरिक ओबस्ट्रेकशन,वो स्थिति जिसके कारण बच्चों में फोर्सफुल थूक बाहर आता हैं) भी उल्टी के कारण हो सकते हैं.
इसके विभिन्न कारणों में स्टोमक के भीतर ब्लीडिंग होना, इन्फेक्शन, इरिटेशन, इन्टेस्टाइन में ब्लोकेज, बॉडी केमिकल्स और मिनरल्स कम-ज्यादा होना, बॉडी में टोक्सिसिटी होना भी शामिल हैं.
कई बार एल्कोहल, बियर, वाइन और लिक्वर केमिकल-एसिटेलडीहाइड में बदल जाते हैं,जिसके कारण अगली सुबह जी मिचलाना जैसी फीलिंग आती हैं जिसे हैंग-ओवर कहते हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान जी मिचलाना और उल्टियाँ लगातार होती रहती हैं. सामान्यतया शुरूआती कुछ महीनों में मोर्निंग सिकनेस होती हैं लेकिन कई बार ये पूरे 9 महीने भी चल जाती हैं.
अलग-अलग उम्र में उल्टी के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं. बच्चों में उल्टियाँ वायरल इन्फेक्शन, दूध से एलर्जी, ओवरईटिंग, फीडिंग, कफ़ से, बुखार से या इन्टेस्टाईन के ब्लाक होने से भी हो सकती हैं. इंटेस्टाइन के ब्लॉक होने का कारण ट्यूमर,हर्निया या गालस्टोन हो सकता हैं.
कुछ बीमारिया जैसे क्रोहन सिंड्रोम या इरिटेबल बाऊल सिंड्रोम के कारण भी उल्टियाँ हो सकती हैं, क्रोहन सिंड्रोम एक ऑटो-इम्यून डिजीज हैं ये तब होती हैं शरीर के हेल्दी गट टिशू पर एंटीबॉडी अटेक करने लगती हैं. जबकि इरिटेबल बाऊल सिंड्रोम तब होता हैं जब गट के कुछ पार्ट्स ओवर रिएक्ट करने लगते हैं.
उल्टी होना किसी भयंकर बिमारी के लक्षण जैसे ब्रेन ट्यूमर,माइग्रेन अटेक,अपेंडिक्स,मस्तिष्क आघात और मेनिन्जाईटीस भी हो सकते हैं.
ज्यादा उल्टी होने से इसोफेगस फटने लगती हैं इस कंडीशन को मल्लोरी-वेज टियर (Mallory-Weiss tear) कहते हैं और इस डिजीज को बोअर हावे सिंड्रोम(Boerhaave’s syndrome.) कहते हैं. यह एक तरह की मेडिकल इमरजेंसी होती हैं.
क्या होता हैं जब उल्टी होती हैं?
उल्टी के कारण और स्थिति को देखते हुए ब्रेन शरीर के डाईफ्राम और स्टोमक को एक सिग्नल भेजता हैं जो कि फूड को इसोफेगस से वापिस मुंह की तरफ धकेलता हैं. विवो पेथो फिजयोलोजी के अनुसार “पेट और प्रोक्सिमल स्माल इन्टेस्टाइन के कंटेंट्स को फ़ोर्सफूली बाहर की तरफ निष्कासित करना ही उल्टी होने की प्रक्रिया हैं” . बहुत से शोधो से समझ आया हैं कि वोमिटिंग 3 सिक्वेंस में होती हैं-मिचली आना,उबकाई आना,उल्टी होना.
मिचली आना (Nausea)- किसी भी व्यक्ति में मिचली आना वो स्थिति जो उसे अनकम्फर्टेबल कर देती हैं,जिससे उसे यह लगने लगता हैं कि वोमेट होने वाली हैं. हालांकि इस बात पर वैज्ञानिक एकमत नहीं है कि इसके लिए भी ब्रेन से सिग्नल भेजे जाते हैं. इसके कारण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं, यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि हमेशा जी मिचलाने का परिणाम उल्टी होना नहीं होता हैं.
उबकाई आना (Retching)– जब पेट में लगातार कांट्रेकशन होने लगता हैं तो लोग इसे पेट में भारीपन होना कहने लगते हैं. फिजियोलोजी से समझें तो ये स्पास्मोडीक श्वसनीय मूवमेंट हैं जो कि ग्लोटीस को बंद कर देता हैं, ग्लोटीस वो स्पेस होता हैं जो कि लेरिंक्स के वोकल के बीच स्थित होता हैं. इसके बंद होने से डाईफ्राम में कांट्रेकशन होता हैं,और उबकाई आने लगती हैं.
उल्टी होना (Vomiting)- सबसे पहले लम्बी साँस आने के बाद ग्लोटीस बंद हो जाता हैं और लेरिंक्स उपर के इसोफेगल स्फिन्क्टर को खोल देता हैं. इसके बाद डाइफ्राम में कांट्रेक्सन होता हैं जो कि नेगेटिव प्रेशर क्रिएट करता हैं और इसोफेगस को खोलता हैं. फिर एब्डोमिनल मसल में कांट्रेकशन होता हैं और गैस्ट्रिक सिस्टम के भीतर प्रेशर बहुत तेज हो जाता हैं. यह पेट से आने वाले कंटेंट के लिए रास्ता साफ़ करता हैं और इसोफेगस के खुलने के साथ ही मुंह के द्वारा सारा कंटेंट (खाई हुई और पी हुईं चीजें) बाहर आ जाता हैं.
क्या आप खुद को उल्टी करने से रोक सकते हैं?
यह पूरी तरह से परिस्थिति पर निर्भर करता हैं कि आप होने वाली उल्टी पर नियन्त्रण कर पाते हैं या नहीं. वास्तव में उल्टी होना हमेशा इतना बुरा भी नहीं होता हैं, कई बार ये आपके शरीर के भीतर की टॉक्सिसिटी को कम करती हैं. जैसे ज्यादा अल्कोहल पी लेने पर ब्लड स्ट्रीम में टॉक्सिसिटी बढ़ जाती हैं और ब्लड का पीएच भी बिगड़ जाता हैं. ऐसे में उल्टी करके ब्लड के पीएच और टॉक्सिसिटी में संतुलन लाया जा सकता हैं. या फिर कई बार बॉडी में एक बेक्टीरिया-एशररिशिया कोलाई (E. coli) के कारण इन्फेक्शन हो जाता हैं,इस बैक्टीरियल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए भी उल्टी करना शरीर के लिए फायदेमंद हैं
लेकिन जैसे मोशन सिकनेस या स्ट्रेस के कारण जी मचल रहा हो तो उल्टी को रोका जा सकता हैं. इसके लिए कुछ प्राकृतिक उपाय किये जा सकते है. जैसे बैठ जाए या लेट जाए जिससे उल्टी के लिए हो तैयार हो रखा कंटेंट वापिस पेट की तरफ लौटकर सेटल होने लगेगा.
कोई भी फिजिकल एक्टिविटी को अवॉयड करे, मीठा जैसे अदरक की चाय या नीम्बू पानी ले. अल्कोहल,कॉफ़ी या कोई भी एसिडिक जूस जैसे ऑरेंज जूस को अवॉयड करे. कोल्ड ड्रिंक पीए, तेल और मसाले युक्त खाने को अवॉयड करे,गहरी साँस लेने की कोशिश करे.
कैसे समझें उल्टियों की गम्भीरता को
अलग-अलग लोगों में कई कारण से उल्टियां होती हैं लेकिन कब डॉक्टर की मदद लेनी हैं और कब घरेलु उपचार से ही मामला सम्भालना हैं ये तय कर पाना थोडा मुश्किल हो सकता है. और सच तो ये हैं कि प्राथमिक स्तर पर लिया जाने वाला ये निर्णय कही से भी गैर-जरुरी नहीं हैं. क्योंकि कई बार लगातार उल्टियाँ होना कई गंभीर परिणाम लेकर आ सकता हैं. इसलिए उल्टी और जी घबराने को कभी भी सामान्य सी एसिडिटी या अपच समझकर नजरंदाज नहीं किया जा सकता.
ये जरुरी हैं कि आप अपने वोमिटिंग की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी पर नजर बनाए रखे, ये याद रखे कि सिर्फ जी घबराते हुए ही हार्ट अटैक भी आ सकता हैं. और सम्भव हैं कि लगातार उल्टियाँ हो रही हो लेकिन मामला फूड-पोइजनिंग का भी हो सकता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना या नहीं लेने का निर्णय बहुत ही सोचकर करे.
वैसे उल्टियाँ होने के साथ कुछ गंभीर लक्षण भी होते हैं जिन्हें कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए जैसे चेस्ट पैन,सांस में लेने में समस्या होना, सर चकराना और तेजी से दर्द करना, शरीर के किसी हिस्से से तेज ब्लीडिंग होना फिर चाहे वो महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग ही क्यों ना हो, कम दिखाई देना या आँखों के सामने अँधेरा छाना और सबसे भयंकर स्थिति खून की उल्टी होना. इन सब में खून की उल्टी को तो कोई भी सुरत में सामान्य नहीं लेना चाहिए,चाहे आपकी कोई भी मेडिकल हिस्ट्री हो और आप कितने भी इसके कारणों से वाकिफ हो.
जी मिचलाने और उल्टी होने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट-
उल्टी और जी घबराना और जी मिचलाना जैसी समस्याओं को एक साथ सम्भालना जरुरी होता हैं. ये समस्या तब और बढ़ जाती हैं जब शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं जिसके कारण कुछ भी पीना अच्छा नहीं लगता ऐसे में इंट्रावेनस फ्लूइड चढाया जा सकता हैं.
नौजिया (जी मिचलाना) को कम करने के लिए बहुत तरह की मेडिसिन मिलती हैं जो कि डॉक्टर रोगी की क्षमता के अनुसार प्रिसक्राइब करता हैं. ये दवाइयाँ पिल्स,लिक्विड या टेबलेट के फॉर्म में मिलती हैं जो कि जीभ के नीचे रखने पर घुल जाती हैं, इसके अलावा इन दवाइयों को इंट्रावेनस या इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा भी दिया जा सकता हैं.
उल्टी को नियन्त्रित करने के लिए जो सामान्य दवाइयाँ मिलती हैं वो हैं- प्रोमेथाज़िन (फेनीग्रान),प्रोक्लोर्पेराज़िन(कोम्पेज़ाइन),ड्रोपेराईडोल (इनापसाइन), मेटाक्लोप्रेमाइड (रेगलन) और ओंडास्टरोन (ज़ोफ्रेन). डॉक्टर रोगी की स्थिति को देखते हुए इन सबमें से कोई एक दवाई देते हैं.
उल्टियाँ वोमिट दूर करने और रोकने के लिए घरेलू उपाय –
यदि डॉक्टर की सलाह ले चुके हो या फिर उल्टी होने का कारण समझ आ चूका हो, तो कुछ घरेलू उपायों से भी लगातार होने वाली उल्टियों को रोका जा सकता हैं.
अदरक पाचन-तन्त्र के लिए बहुत अच्छा होता हैं और उल्टियाँ रोकने के लिए प्राकृतिक रूप से एंटी-एमेटिक के जैसे काम करता हैं. एक चम्मच अदरक के रस और नीम्बू के रस को मिलाकर दिन में 2-4 बार लेने से उल्टियाँ होना और जी घबराना बंद हो जाता हैं. इसके अलावा अदरक के छोटे टुकड़े मुंह में रखने पर भी थोड़ी देर के लिए आराम मिलता हैं . शहद के साथ अदरक की चाय बनाकर भी ली जा सकती हैं.
दालचीनी भी जठर सम्बन्धित समस्याओं को शांत करती हैं. इसे लेने से भी जी मिचलाना और उल्टी होने जैसे समस्याओं में कमी आती हैं. एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर डालकर उबालें और इस पानी को पीए,इसमें शहद भी मिला सकते हैं. हालांकि ये उपाय गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हैं.
पुदीने की चाय भी पाचन तन्त्र को संतुलित रखती हैं. यदि ताज़ी पत्तियां उपलब्ध हो तो उन्हें चबाए लेकिन यदि ना हो तो एक चम्मच सुखी पुदीने की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर इसके चाय बनाए.
एक चम्मच पुदीने की पत्ती का जूस,नीम्बू का रस और शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से भी उल्टियाँ कम होने लगती हैं.
एप्पल साइडर विनेगर भी बेचैनी को कम करता हैं,यह डीटोक्सीफिकेशन भी करता हैं,इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होने के कारण यह फूड-पोइजनिंग भी सही करता हैं. एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर और एक चम्मच शहद को पानी में मिलाकर पीने से जी घबराना और उल्टी होना कम हो सकता हैं. उल्टी होने के कारण मुंह का खराब स्वाद और गंध भी इससे कम की जा सकती हैं. आधे कप पानी में 1 चम्मच विनेगर मिलाकर पीने से मुंह खराब स्वाद और गंध के कारण बार-बार उल्टियाँ नहीं होती.
लौंग भी गैस्ट्रिक इरिटेबिलीटी को कम करती हैं, लौंग की चाय बनाई जा सकती हैं या फिर तले हुए लौंग को शहद के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता हैं.
मीठी तुलसी की पत्तियों की खुशबू भी उल्टी को कम करती हैं. इसका जूस बनाकर एक ग्लास गर्म पानी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से उल्टी होना और जी मिचलाना कम हो जाते हैं.
जामुन के पेड़ की छाल का पाउडर बना ले इसे 10 मिनट के लिए पानी में भिगोकर रखें,और अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर रोज 2-3 चम्मच इसे पीये. यह ब्लड शुगर को भी कम करता हैं इसलिए लोग इसे डाईबिटिज में भी पीते हैं.
नीम्बू और प्याज का रस भी मिलाकर पीने से उल्टियाँ कम हो सकती हैं.
उल्टी / वोमिट रोकने के कुछ अन्य घरेलू इलाज
1 वोमिट जैसा महसूस होने पर, एक एक घूँट पानी पीते रहें|
2 बहुत हल्का एवं कम तेल मसाले वाला भोजन लें, एवं धीरे धीरे खाएं|
3 गुलुकोस, एलेक्ट्रोल जैसी चीज पीते रहें|
4 जितना हो सके आराम करें|
5 तेज सुगन्धित वाली जगह में ना बैठे, इससे जी और ज्यादा मचलाता है|
6 खाने के तुरंत बाद ना सोयें|
7 खाने के तुरंत बाद ब्रश ना करें, इससे वोमिट होने के सबसे ज्यादा चांस होते है|
ये वोमिट रोकने के कुछ ऐसें तरीके है जिन्हें आप घर पर आसानी से इस्तेमाल कर सकते है, इसे उपयोग करने से आपको कोई नुकसान भी नहीं होगा| आपको अब से जब भी उल्टी की परेशानी हो आप ये इलाज कर सकते है|