वाटर गार्डनिंग / Water gardening
वाटर गार्डन को आकर्षक बनाने के लिए फाउंटेन ,रॉकवर्क ,रेत-बजरी का यूज़ किया जाता है चाहे तो इसमें घोंघे जो की शैवाल ,मछली के अपशिस्ट और कार्बनिक पदार्थ को खा लेते है जोड़ सकते हैं। परंतु मछली और घोंघे को वाटर गार्डनिंग में तभी ऐड करना चाहिए जब हम इनका सही तरीके रखरखाव कर सकें। वाटर गार्डनिंग के लिए हमेशा ये जरुरी नहीं है की प्राकृतिक तालाब और बड़ी जगह हो। ये कांक्रीट डिश ,हाफ बैरल ,प्लास्टिक टब और ऐसे किसी भी बर्तन में बनाया जा सकता है जिसमे पानी को रखा जा सके।
वाटर गार्डन में लगाये जाने वाले पौधे-
वाटर गार्डनिंग प्लांट को हम ३ भागो में डिवाइड करते हैं सब्मर्ज़ड ,मार्जिनल और फ्लोटिंग।
सब्मर्ज़ड- वे पौधे जो पूरी तरह से पानी में डूबे रहते है।
मार्जिनल- वे पौधे जिनकी जड़े तो पूरी तरह पानी में डूबी रहती है पर बाकि भाग पानी से उपर रहता है।
फ्लोटिंग- वे पौधे जिनकी जड़े न तो पूरी तरह से मिट्टी में बंधी रहती है और वे पूरी तरह से पानी में तैरते रहते है।
कैसे लगाया जाता है पौधो को कंटेनर में-
इसके लिए आपको जरुरत होगी- कंटेनर, ईट या स्टैंड ,जलीय पौधे(गमले सहित),सजावटी पत्थर ,वाटर गार्डन सोइल (मिट्टी), पानी आदि।
- सबसे पहले एक कंटेनर (गमला) लिया जाता है जिसमे ड्रेनेज होल न हो (पानी बाहर निकलने के लिए एक छोटा सा छेद) हो।
- अब कंटेनर में किसी भी किनारे पर ईट या स्टैंड रखा जाता है जिस पर कि छोटे जलीय पौधो को रखा जा सके।
- अब बड़े जलीय पौधो को कंटेनर के बेस में रखा जाता है और छोटे जलीय पौधो को ईट या स्टैंड पर जिससे की वे पूरी तरह पानी में न डूबें।
- इसके बाद कंटेनर में पानी भर दिया जाता है अब जहाँ एक्स्ट्रा पत्तियाँ हो उन्हें कट करके फिनिशिंग टच दिया जाता है।
- अंत में कुछ सजावटी पत्थर लेकर कंटेनर में रखे छोटे गमलों में इस तरह रखे जाते है कि वे आधे पानी से बाहर दिखाई दें चाहे तो फाउंटेन भी ऐड कर सकते हैं।फिर पानी में तैरने वाले जलीय पौधे (फ्लोटिंग प्लांट्स) को पानी में छोड़ दिया जाता है। इसतरह तैयार हो जाता है कंटेनर वाटर गार्डन।