बुधवार के व्रत की विधि / Wednesday Fast

बुधवार का व्रत –

बुधवार का व्रत करने पर दिन में सिर्फ  एक बार भोजन करना चाहिए। सफ़ेद वस्तु का दान करना चाहिए। इस व्रत में हरी चीजों का उपयोग करना श्रेष्ठ होता है।

बुधवार का व्रत

व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धूप , दीप , बील पत्र , आदि से करनी चाहिए। बुधवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच में नहीं उठना चाहिए।

बुधवार व्रत कथा कहानी –

एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने ससुराल गया। दो तीन दिन वहां रहने के बाद सास ससुर से विदा करने के लिए कहा। उस दिन बुधवार था। सास ससुर में तथा अन्य सम्बन्धियों ने कहा कि आज बुधवार है और बुधवार के दिन गमन नहीं करते।

वह नहीं माना और उसी दिन पत्नी को विदा करवाकर अपने शहर की और रवाना हो गया। रास्ते में उसकी पत्नी ने उसे पानी लाने को कहा। वह गाड़ी से उतरकर पानी लेकर लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी के पास बिल्कुल उसके जैसी शक्ल वाला और उसके जैसे कपड़े पहने कोई दूसरा आदमी बैठा है।

उसने गुस्से में आकर उस व्यक्ति से पूछा – ” तू कौन है और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है ?

उसने जवाब दिया – ” यह मेरी पत्नी है , और मैं इसे अभी-अभी ससुराल से विदा करवाकर ला रहा हूँ ”

दोनों आपस में झगड़ा करने लगे।

झगड़ा होते देख सिपाही वहां आ गए। उन्होंने महिला से पूछा कि तुम्हारा पति कौनसा है ?

उसकी पत्नी कुछ नहीं सकी। उसकी समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है ?

वह व्यक्ति भगवान से प्रार्थना करने लगा और इस अजीब सी परेशानी में मदद की गुहार करने लगा । तभी आकाशवाणी हुई की बुधवार को गमन नहीं करने की बात ना मानने के कारण यह परेशानी हुई है। तूने किसी की बात नहीं मानी। यह लीला बुधदेव भगवान की है।

उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। उसके हमशक्ल बनकर आये बुधदेव भगवान अंतर्ध्यान हो गए। उस व्यक्ति में चैन की साँस ली और पत्नी को सकुशल घर लेकर आया।

इसके बाद पति पत्नी नियमपूर्वक बुधवार का व्रत करने लगे। जो व्यक्ति यह कथा सुनता है और दूसरों को सुनाता है उसे बुधवार के दिन यात्रा करने का दोष नहीं लगता और सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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