सफ़ेद दाग / White spot

सफ़ेद दाग Vitiligo त्वचा की एक समस्या है जिसमे त्वचा पर सफ़ेद धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे शरीर के किसी भी हिस्से पर बन सकते हैं। यहाँ तक कि बाल और मुंह के अन्दर की स्किन भी इनसे प्रभावित हो सकती है।

सफ़ेद दाग क्या है – 

त्वचा का रंग मेलेनिन Melanin के कारण होता है जो मेलेनोसाइट्स Melanocytes नामक सेल्स बनाते हैं। यदि किसी कारण से स्किन के किसी हिस्से में ये सेल्स नष्ट हो जायें या मेलेनिन बनाना बंद कर दें तो उस जगह मेलेनिन नहीं होने के कारण त्वचा सफ़ेद नजर आती है। इसे ही सफ़ेद दाग या विटिलिगो Vitiligo कहते हैं। इसे एक प्रकार का ल्यूकोडर्मा Leucoderma कहा जा सकता है।

सफ़ेद दाग Safed Dag किसी भी प्रकार की त्वचा पर तथा किसी भी उम्र में हो सकते हैं । महिला , पुरुष या गोरी व सांवली त्वचा को ये सामान रूप से प्रभावित करते हैं। सांवली स्किन पर ये ज्यादा नजर आते है।

सफ़ेद दाग vitiligo से कैसे बचें

ये धब्बे अधिकतर धूप पड़ने वाले अंग यानि हाथ , पैर , चेहरे , होंठ पर होते हैं पर इनके अलावा सफ़ेद दाग बगल , मुंह के आसपास , आँख , नाक के अन्दर , नाभि , प्रजनन अंग या कुल्हे पर भी हो सकते हैं।

क्या सफ़ेद दाग खतरनाक होते हैं – 

सफ़ेद दाग से किसी प्रकार का खतरा नहीं होता और ना ही ये छूने से फेलने वाली बीमारी है। इससे त्वचा की सुन्दरता जरुर थोड़ी बिगड़ जाती है जिसके कारण हीनभावना आ सकती है लेकिन परिस्थिति को स्वीकार करके चलने से सामान्य जीवन जीना बहुत आसान हो सकता है।

शुरू में एक छोटे से धब्बे से बढ़कर यह पूरे शरीर पर फ़ैल सकते हैं। समय पर और सही उपचार से कुछ लोग ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों के दाग बढ़ना बंद हो जाते हैं लेकिन कुछ लोगों पर उपचार का प्रभाव नहीं हो पाता। अतः यह मानना गलत है कि सफ़ेद दाग का इलाज ही नहीं होता है । सफ़ेद दाग बढ़ेंगे या नहीं यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं होता है।

सफ़ेद दाग होने का कारण –

सफ़ेद दाग होने का कारण बहुत स्पष्ट नहीं है। यानि यह नहीं कहा जा सकता कि इसी वजह से सफ़ेद दाग हुए हैं। यह एक ऑटो इम्यून डिजीज कही जाती है अर्थात शरीर के खुद के सेल्स ही सफ़ेद दाग होने की वजह बनते हैं।

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार स्किन पर चोट लगने से विशेष प्रकार के न्यूरोपेप्टाइड नामक तत्व बनते हैं जो मेलेनिन को नष्ट कर सकते हैं। ये तत्व स्किन पर चोट के अलावा अधिक मानसिक तनाव के कारण भी बन सकते है जिसका दुष्प्रभाव सफ़ेद दाग के रूप में सामने आ सकता है।

Safed Dag वाले लगभग 50 % लोगों में थाइरॉइड , एड्रिनल या अन्य हार्मोन  से सम्बंधित समस्या पाई जाती हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इनमे आपस में कुछ सम्बन्ध अवश्य हो सकता है।

भारी धातु जैसे मरकरी और लेड के बुरे असर से त्वचा पर सफ़ेद दाग बन सकते हैं।

हार्मोन का बदलाव , बार बार पीलिया या टाइफाइड होना , अत्यधिक मानसिक तनाव , या लम्बे समय तक एंटीबायोटिक दवा का सेवन सफ़ेद दाग होने का कारण बन सकता है ।

क्या सफ़ेद दाग छूत की बीमारी है

सफ़ेद दाग Vitiligo के लिए कोई बाहरी कारण जैसे बैक्टीरिया आदि नहीं होते हैं। इसीलिए यह बीमारी एक से दूसरे को नहीं लगती है। अर्थात विटिलिगो छूत की बीमारी नहीं है। यह छूने से , किसी का झूठा खाने से , रक्त चढ़ने से , साँस के द्वारा , वयस्क शारीरिक सम्बन्ध या एक दुसरे की चीज उपयोग करने से नहीं फैलती है।

इसके अलावा सफ़ेद दाग माता-पिता से बच्चों को होने वाला वंशानुगत रोग नहीं है। माता या पिता को सफ़ेद दाग हो तो जरुरी नहीं की ये बच्चे को भी होंगे।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विटिलिगो में मेलेनोसाइट्स नष्ट नहीं होते बल्कि सिर्फ काम करना बंद कर देते हैं या उनके कार्य में कुछ रूकावट आ जाती है। सही उपचार से इनका समाधान हो सकता है।

सफ़ेद दाग और आयुर्वेद – 

आयुर्वेद में इसे इसे शिवत्र या श्वेत कुष्ठ Shwet Kushth रोग कहा जाता है। कुष्ठ रोग कई प्रकार के होते हैं। सफ़ेद दाग का कुष्ठ , कोढ़ या leprosy नामक बीमारी से कोई सम्बन्ध नहीं है। क्योंकि Leprosy का कारण बैक्टीरिया होते हैं। जबकि विटिलिगो में किसी बैक्टीरिया की कोई भूमिका नहीं होती है। इसके ” श्वेत कुष्ठ ” नाम के कारण कुछ लोग इसे Leprosy से सम्बंधित मानकर रोगी के साथ उसी प्रकार का व्यवहार करने लगते हैं जो कि बिल्कुल गलत है।

आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार सफ़ेद दाग के मुख्य कारण में से एक है। विशेषकर माँस मछली के साथ दूध का सेवन श्वेत कुष्ठ का कारण बनता है । विरुद्ध आहार कौनसे होते हैं जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

इसके अलावा अधिक खट्टे या तेज मिर्च मसालों का सेवन , अधिक गर्म स्थान में रहना ,  अधिक नमक का सेवन तथा मल मूत्र व अन्य शारीरिक वेग आदि रोकना श्वेत कुष्ठ का कारण बन सकते हैं। अतः इनका ध्यान रखा जाना चाहिए तथा सफ़ेद दाग हो तो इनसे परहेज करना चाहिए।

सफ़ेद दाग का उपचार – 

यदि शरीर पर कहीं भी सफ़ेद दाग दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करके उसका निदान करवाना चाहिए । शुरुआत में ही सफ़ेद दाग होने की सही वजह या बीमारी का सटीक पता चलने पर चिकित्सा आसान हो जाती है। प्रारंभिक स्थिति में सफ़ेद दाग को बढ़ने से रोका भी जा सकता है और ठीक भी किया जा सकता है। बढ़ने पर इस पर काबू पाना थोड़ा मुश्किल होता है तथा उपचार भी लम्बा चलता है।

ज्यादा टाइट कपडे पहनने से बचना चाहिये इससे त्वचा पर दबाव पड़ता है। थाइरोइड की नियमित जाँच करवाकर और दवा लेकर उसे कंट्रोल में रखना चाहिए। समुद्री आहार जैसे मछली आदि भारी धातु विशेषकर मरकरी से प्रदूषित हो सकती हैं , इनका उपयोग सावधानी से करें या ना करें। तेज खट्टे पदार्थ जैसे नीबू , संतरा , अचार , इमली आदि का उपयोग ना करें क्योकि इनसे ऑटो इम्युनिटी प्रभावित हो सकती है।

सुबह की धूप 10 -15 मिनट लेने से फायदा मिल सकता है।

यहाँ बताये कुछ उपचार करने पर लाभ हो सकता है। खाने पीने में परहेज करने तथा पौष्टिक व सुपाच्य आहार लेने से से दवा का असर अच्छा होता है और स्वास्थ्य लाभ जल्दी प्राप्त होता है।

—  आधी मुट्ठी काले चने और एक चम्मच त्रिफला चूर्ण एक कप पानी में भिगो दें। 12 घंटे बाद छान कर पानी पी लें और चने कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। अंकुरित चने अच्छे से चबा कर खा लें। कुछ महीने यह प्रयोग करने से सफ़ेद दाग ठीक होते हैं।

—  तुलसी का छोटा पौधा जड़ सहित लें। इसे धोकर साफ कर लें।  इसे कूट कर आधा लीटर पानी और 250 ml तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर उबालें। पानी जल जाये और सिर्फ तेल बचे तब आंच बंद कर ठंडा होने दें। मसल कर छान लें।  सफ़ेद दाग , खुजली , घाव आदि पर यह तेल लगाने से लाभ होता है। इसके साथ तुलसी का एक पत्ता सुबह और एक शाम को नियमित खायें।

— बावची के बीजों को सात दिनो तक पानी में भिगो दें। हर रोज पानी बदल दें। सात दिन बाद मसल कर छिलका निकल दें और इन्हे बीजों को छाया में सूखाकर पीस लें। यह पाउडर एक ग्राम लेकर बकरी के या भारतीय गाय के एक गिलास दूध में मिलाकर रोजाना पिएँ ।

साथ ही इस बावची के पाउडर को पानी के साथ खरल में घिस कर पेस्ट बनाकर सफ़ेद दाग पर लगाएं। तीन चार महीने ऐसा करने से सफ़ेद दाग मिट जाते हैं।

—  नीम की कोंपल ( ताजा निकले पत्ते ) 5 -7 और एक हरा आंवला पीस कर पानी में घोल लें। छानकर पियें। नियमित इसे लेने से सफ़ेद दाग ठीक होते हैं।

—  बावची के बीज और इमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर 4-5  दिन तक पानी में भिगो दें । इसके बाद बीजों को मसलकर छिलका निकाल दें और छाया में सूखा लें। इन्हे बारीक़ पीसकर पाउडर बना लें । इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बना लें । यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर सुबह शाम लगायें। इससे सफ़ेद दाग मिटते हैं।

—  मूली के बीज दही में कुछ घंटे डालकर रखें फिर निकाल कर पीस लें । इसे लगाने से सफ़ेद दाग मिटते हैं।

—  माल कांगनी और बावची का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम लगाने से सफ़ेद दाग ठीक होते हैं।

—  नीम की पकी हुई निम्बोड़ि खाने से सफ़ेद दाग में आराम आता है।

—  नीबू के रस में पिसा हुआ नौसादर मिलाकर सुबह शाम लगाने से सफ़ेद दाग मिटते हैं।

सफ़ेद दाग हो तो क्या खायें क्या नहीं – What to eat

—  तेज मिर्च मसाले और ज्यादा खट्टा खाने से परहेज करना चाहिए।

—  गर्म प्रकृति के पदार्थ तथा नमक बहुत कम मात्रा में लें या ना लें।

—  दूध के साथ नमक वाली चीजें , प्याज , मछली या खटाई ना लें।

—  माँस मछली के बाद दूध ना लें।

—  पान खाने के बाद दूध नहीं लें।

—  कोई भी त्वचा रोग हो तो बैंगन , सूरन ( जमीकंद ) और अरबी से परहेज करना चाहिए।

—  शारीरिक वेगों को नहीं रोकना चाहिए।

 

—  गेहूँ  , चने या अन्य अनाज की रोटी बिना नमक वाली लेनी चाहिए।

 

—  सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी , दलिया आदि लेने चाहिए ।

 

—  हरी सब्जी पालक,  मेथी , बथुआ , तुरई , लौकी , टिंडे आदि खाने चाहिए।

 

—  मौसमी फल , पपीता , अनार , चीकू आदि ले सकते हैं।

 

—  अचार , इमली , नींबू व अमचूर नहीं लेने चाहिए।

 

—  मीठे से परहेज करना चाहिए।

 

—  गरिष्ठ भोजन न लें।

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